महाराष्ट्र में पिछले 4 महीनों में भारी बारिश और आकाशीय बिजली से 337 लोगों की मौत हुई है। इसी तरह बारिश से 5,840 मवेशियों की मौत हुई है। भारी बारिश के बाद आई बाढ़ से तकरीबन 14.50 लाख हेक्टेयर खेत में फसल तबाह हो गई है। राज्य सरकार ने प्रभावित 36 लाख किसानों को मुआवजे के रूप में 4500 करोड़ रुपये जारी किए।
राहत एवं पुनर्वास विभाग के अनुसार महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदा से हुई मौतों में सर्वाधिक 20 फीसदी मौतें आकाशीय बिजली गिरने से हुई हैं। विदर्भ के 11 जिलों में सबसे अधिक 192 मौतें आकाशीय बिजली से हुई हैं। इनमें अकेले नागपुर में 35 लोगों की मौत शामिल है। मराठवाड़ा के आठ जिलों में 61 और उत्तरी महाराष्ट्र में 41 लोगों की मौत हुई है। सबसे कम मौत कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र में हुईं। राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर मौतें बाढ़ और उसके बाद बिजली गिरने से हुई हैं। मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में आकाशीय बिजली गिरने की कुल 70 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी के अनुसार उत्तर महाराष्ट्र में नंदुरबार, जलगांव, धुले, मराठवाड़ा क्षेत्र के नांदेड़, बीड, हिंगोली, लातूर, उस्मानाबाद और विदर्भ क्षेत्र के अमरावती, वाशिम, चंद्रपुर में आकाशीय बिजली गिरने की अत्यधिक संभावना रहती है। सतपुड़ा और सह्याद्रि की सीमाओं के बीच स्थित जिले तूफानी बादलों और जमीन या बादलों के बीच असंतुलन पैदा करते हैं जो आकाशीय बिजली गिरने का कारण बनते हैं। राज्य सरकार आकाशीय बिजली से लोगों को बचाने के लिए उचित उपाय और लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए दामिनी एप का भी सहयोग लिया जा रहा है।