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देश के दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने कार्यभार संभाला

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देश के दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने शुक्रवार को अपना कार्यभार संभाल लिया। सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि मैं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में तीनों रक्षा बलों की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करूंगा। हम सभी चुनौतियों और मुश्किलों का मिलकर सामना करेंगे।

सीडीएस अनिल चौहान ने आज सुबह सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया। पुष्पांजलि समारोह के बाद सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि उन्हें भारतीय सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी संभालने पर गर्व है। मैं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में कार्यभार संभालने पर बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं। मैं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में तीनों रक्षा बलों की अपेक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करूंगा। सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का हम एक साथ संयुक्त रूप से दूर करने का प्रयास करेंगे।

नए सीडीएस को दिल्ली के साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को बुधवार को नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में नियुक्त किया गया था। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद 10 माह से सैन्य बलों के प्रमुख का यह पद खाली था। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने सेना की उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामूला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली। इसके बाद सितंबर, 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई, 2021 में अपनी सेवानिवृत्ति तक पदभार संभाला।

इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया था। सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। सेना में लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में उन्हें जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव है। 18 मई, 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं।

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