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भावनगर, गुजरात में विभिन्न विकास परियोजनाओं के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

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भावनगर के सभी स्वजनों को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। सबसे पहले तो मुझे भावनगर से माफी मांगनी है, मैं भूतकाल में कभी भी इतने ज्यादा समय के बाद भावनगर आया हूँ, ऐसी यह पहली घटना है। बीच में आ नहीं सका, इसलिए क्षमा मांगता हूँ। और फिर भी आज आपने जो आशीर्वाद बरसाएं हैं, जो प्यार दिया है, यह मैं कभी भी नहीं भूलूंगा। दूर-दूर तक मेरी नजर जा रही है, इतनी बड़ी संख्या में और वह भी इतनी गर्मी में, आप सभी को शत-शत नमन करता हूँ।

आज मेरी भावनगर की मुलाकात विशेष है। एक तरफ देश जहां आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर चुका है, वहीं इस साल भावनगर अपनी स्थापना के 300 वर्ष पूरे करने जा रहा है। 300 वर्षों की अपनी इस यात्रा में भावनगर ने सतत विकास की, सौराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में अपनी एक पहचान बनाई है। इस विकास यात्रा को नए आयाम देने के लिए आज यहां करोड़ों रुपयों के अनेक प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये प्रोजेक्ट भावनगर की पहचान को सशक्त करेंगे, सौराष्ट्र के किसानों को सिंचाई की नई सौगात देंगे, आत्मनिर्भर भारत अभियान को और मज़बूती देंगे। रीजनल साइंस सेंटर के बनने से शिक्षा और संस्कृति के शहर के रूप में भावनगर की पहचान और समृद्ध होगी। इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

भाइयों और बहनों,

जब भी मैं भावनगर आया हूं तो एक बात ज़रूर कहता रहा हूं। बीते ढाई-तीन दशकों में जो गूंज सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद की रही है, अब वही गूंज राजकोट, जामनगर, भावनगर की होने वाली है। सौराष्ट्र की समृद्धि को लेकर मेरा विश्वास इसलिए प्रगाढ़ रहा है, क्योंकि यहां उद्योग, खेती, पर्यटन,  इन तीनों के लिए ही अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। आज का ये कार्यक्रम इसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ते डबल इंजन सरकार के प्रयासों का एक जीता जागता सबूत है। भावनगर समंदर के किनारे बसा जिला है। गुजरात के पास देश की सबसे लंबी कोस्टलाइन है। लेकिन आजादी के बाद कई दशकों में तटीय विकास पर उतना ध्यान ना दिए जाने की वजह से, ये विशाल कोस्टलाइन एक तरह से लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी। समंदर का खारा पानी,

यहां के लिए अभिशाप बना हुआ था। समंदर के किनारे बसे गांव के गांव खाली हो गए थे। लोग यहां-वहां पलायन करने लगे थे। कितने ही नौजवान सूरत जाते थे,  वहां एक ही कमरे में 10-10, 15-15, 20-20 लोग जैसे-तैसे गुज़ारा करते थे। ये स्थिति बहुत दुखद थी।

साथियों,

बीते 2 दशकों में गुजरात की कोस्टलाइन को भारत की समृद्धि का द्वार बनाने के लिए हमने ईमानदारी से प्रयास किया है। रोजगार के अनेक नए अवसर खड़े किये हैं। गुजरात में हमने अनेकों पोर्ट्स विकसित किए,  बहुत से पोर्ट्स का आधुनिकीकरण कराया,  गुजरात में आज तीन बड़े LNG टर्मिनल हैं, पेट्रोकेमिकल हब्स हैं और देश में गुजरता पहला राज्य था, जहां पहला LNG टर्मिनल बना था। राज्य के तटीय इलाकों में हमने सैकड़ों कोस्टल इंडस्ट्रीज डेवलप की, छोटे-बड़े अनेक उद्योग विकसित किए। उद्योगों की ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए हमने कोल-टर्मिनल्स का नेटवर्क भी तैयार किया है। आज गुजरात के तटीय इलाकों में अनेक पॉवर प्लांट्स जो केवल गुजरात ही नहीं पूरे देश को ऊर्जा देते हैं। हमारे मछुवारे भाई-बहनों की मदद के लिए हमने फिशिंग हार्बर्स बनवाए, फिश लेंडिंग सेंटर्स और फिश प्रोसेसिंग को भी बढ़ावा दिया। फिशिंग हार्बर का जो मजबूत नेटवर्क हमने तैयार किया है,  उसका भी निरंतर विस्तार किया जा रहा है, उसका आधुनिकीकरण किया जा रहा है। गुजरात के तटीय क्षेत्र में मैंग्रूव के जंगलों का विकास करके हमने कोस्टल इकोसिस्टम को और सुरक्षित बनाया है,  और मजबूत बनाया है,  और उस समय भारत सरकार में जो मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने एक बार कहा था। कि हिन्दुस्तान के तटीय राज्यों को गुजरात से मैंग्रूव का विकास कैसे हो सकता है, ये सीखना चाहिए। ये काम आप सबके सहयोग से गुजरात में हुआ है।

हमने Aquaculture को भी निरंतर बढ़ावा दिया। गुजरात देश के उन अग्रणी राज्यों में है, जहां Sea-Weed की खेती को लेकर बड़े प्रयास हुए हैं। आज गुजरात की कोस्ट लाइन, देश के आयात-निर्यात में बहुत बड़ी भूमिका निभाने के साथ ही लाखों लोगों को रोजगार का माध्यम भी बनी है। आज गुजरात की कोस्टलाइन, री-न्यूएबल एनर्जी और हाइड्रोजन इकोसिस्टम उसका पर्याय बनकर उभर रही है। हमने सौराष्ट्र को भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का प्रयास किया है। गुजरात और देश की ऊर्जा उसकी जो जरूरतें हैं। उसके लिए जो कुछ भी चाहिए, आज ये क्षेत्र उसका बड़ा हब बन रहा है। अब तो सौर ऊर्जा के भी अनेक प्रोजेक्ट इस क्षेत्र में लग रहे हैं। पालिताना में आज जिस सोलर पावर प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ है, उससे क्षेत्र के अनेक परिवारों को सस्ती और पर्याप्त बिजली मिल पाएगी। एक समय था, जो आज 20-22 साल के होंगे ना उनको तो इन बातों को पता भी नहीं होगा, यही हमारे गुजरात में एक समय था, जब शाम को खाना खाने के समय अगर बिजली आ गई तो खुशी का दिन होता था। और मुझे याद है, मैं मुख्यमंत्री बना पहले ही दिन से लोग कहते थे कि कम से कम शाम को खाना खाते समय बिजली मिले ऐसा तो करो। वो सारे दुख वाले दिन चले गए दोस्तों।

आज यहां पर्याप्त बिजली के कारण बिजनेस के नए अवसर यहां बन रहे हैं, उद्योग-धंधे फल-फूल रहे हैं। धोलेरा में री-न्यूएबल एनर्जी, स्पेस और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को लेकर जो निवेश होने जा रहा है, उसका लाभ भी भावनगर को मिलने वाला है। क्योंकि एक प्रकार से वो भावनगर का पड़ोसी इलाका डेवलप हो रहा है और वो दिन दूर नहीं होगा अहमदाबाद से धोलेरा, भावनगर ये पूरा क्षेत्र विकास की नई–नई ऊंचाईयों को प्राप्त करने वाला है।

भाइयों और बहनों,

भावनगर आज Port-led Development के एक अहम सेंटर के रूप में विकसित हो रहा है। इस पोर्ट की देशभर के अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों के साथ मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। मालगाड़ियों के लिए अलग से जो ट्रैक बिछाया जा रहा है, उससे भी ये पोर्ट जुड़ेगा और दूसरे हाईवे, रेलवे नेटवर्क से भी बेहतर कनेक्टिविटी होगी। पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान ये कनेक्टिविटी की परियोजनाओं को और नया बल देने वाली है। यानि भावनगर का ये पोर्ट आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा और रोज़गार के सैकड़ों नए अवसर यहां बनेंगे। यहां भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स से जुड़े व्यापार-कारोबार का विस्तार होने वाला है। ये बंदरगाह गाड़ियों की स्क्रैपिंग, कंटेनर उत्पादन और धोलेरा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स की भी ज़रूरतों को पूरा करेगा। इससे यहां नए रोज़गार बनेंगे, स्वरोजगार की संभावनाएं बनेंगी।

साथियों,

अलंग को दुनिया के बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड में से एक के लिए जाना जाता है। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसको अलंग का पता ना हो। केंद्र सरकार ने जो नई व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी यानि पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने के लिए जो नीति बनाई। वो जब लागू होगी, मैं साथियों दावे से कहता हूं। पूरे हिन्दुस्तान में ये व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी का सबसे पहले और सबसे ज्यादा लाभ किसी को मिलने वाला है, तो आप लोगों को मिलने वाला है। इसका कारण है, अलंग के पास तो स्क्रैपिंग से जुड़ी विशेषज्ञता है। बड़े-बड़े जहाजों को कैसे स्क्रैप किया जाता है, उसकी उनको जानकारी है। ऐसे में जहाजों के साथ-साथ दूसरे छोटे वाहनों की स्क्रैपिंग का भी देश का ये बड़ा सेंटर बन सकता है। भावनगर के मेरे होनहार उद्यमियों को मुझे ये याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि वो विदेशों से भी ये छोटी-छोटी गाड़ियां लाकर,  उन्हें यहां स्क्रैप करने का काम भी शुरू कर देंगे।

साथियों,

यहां जहाज़ों को तोड़कर जो लोहा निकलता है, अभी तक कंस्ट्रक्शन सेक्टर में उसका बड़ा उपयोग होता है। हाल ही में हमने देखा है कि कंटेनरों के लिए किसी एक ही देश पर अति-निर्भरता से कितना बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। भावनगर के लिए ये भी एक नया अवसर है और बड़ा अवसर है। एक तरफ वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है और दूसरी तरफ दुनिया भी कंटेनर्स के मामले में भरोसेमंद सप्लायर की तलाश में है। पूरी दुनिया को लाखों कंटेनर की जरूरत है। भावनगर में बनने वाले कंटेनर, आत्मनिर्भर भारत को भी ऊर्जा देंगे और यहां रोज़गार के अनेक अवसर भी बनाएंगे।

साथियों,

जब मन में लोगों की सेवा का भाव हो, परिवर्तन लाने की इच्छाशक्ति हो, तो बड़े से बड़े लक्ष्य को पाना संभव होता है। सूरत से भावनगर आने-जाने वाली गाड़ियों की क्या स्थिति होती थी, ये आप लोग अच्छी तरह जानते हैं। घंटों का सफर, सड़क हादसे, पेट्रोल-डीजल का खर्चा, कितनी सारी मुश्किलें थीं। अब जीवन पर संकट भी कम हुआ है, किराए-भाड़े का पैसा और समय भी बच रहा है। तमाम अड़चनों के बावजूद हमने घोघा-दहेज फ़ेरी शुरू करके दिखाई, इस सपने को पूरा किया। घोघा-हज़ीरा रो-रो फेरी सर्विस से सौराष्ट्र और सूरत की दूरी लगभग 400 किलोमीटर से घटकर के 100 किलोमीटर से भी कम हो गई है। बहुत ही कम समय में इस सेवा से लगभग 3 लाख यात्री सफर कर चुके हैं। 80 हज़ार से अधिक गाड़ियों को यहां से वहां पहुंचाया गया है और इसी साल अब तक 40 लाख लीटर से अधिक पेट्रोल-डीज़ल की बचत हुई है, मतलब उतने पैसे  आप लोगों की जेब में बचे हैं। आज से तो इस रूट पर बड़े जहाजों के लिए भी रास्ता साफ हुआ है।

साथियों,

आप समझ सकते हैं ये कितनी बड़ी सेवा इस क्षेत्र के सामान्य जनों, किसानों और व्यापारियों की हुई है। लेकिन इतना सब कुछ बिना किसी शोर-शराबे के, बड़े-बड़े विज्ञापन के पीछे पैसे बर्बाद किए बिना ये सारे काम हो रहे हैं, साथियों। क्योंकि हमारी प्रेरणा और लक्ष्य कभी भी सत्ता सुख नहीं रहा है। हम तो हमेशा सत्ता को सेवा का माध्यम मानते हैं। ये हमारा सेवा का यज्ञ चल रहा है। इसी सेवाभाव के कारण ही इतना प्यार, इतना आशीर्वाद निरंतर बढ़ता ही चला जा रहा है, बढ़ता ही चला जा रहा है।

साथियों,

हमारे प्रयासों से इस क्षेत्र में सिर्फ आना-जाना, ट्रांसपोर्टेशन ही नहीं, इतनी ही सुविधा हुई है ऐसा नहीं है, लेकिन टूरिज्म को भी बढ़ावा मिला है। अपनी समुद्री विरासत को सहेजकर उसको पर्यटन की ताकत बनाने पर गुजरात के तटीय क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम हो रहा है। लोथल में बनने वाला मेरीटाइम म्यूज़ियम, शायद आपमें से बहुत कम लोगों को मालूम होगा। लोथल में दुनिया में नाम कमा सके, ऐसा मेरीटाइम म्यूज़ियम बन रहा है। जैसे Statue of Unity उसने एक पहचान बनाई है। ये लोथल का मेरीटाइम म्यूज़ियम भी बनाएगा। क्योंकि हमारे लिए गर्व की बात है। दुनिया का सबसे पुराना बंदरगाह लोथल ये हमारी गुजरात की धरती पर है, ये हमारे भावनगर के किनारे पर है। लोथल हमारी विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, जिसको पूरी दुनिया के पर्यटन नक्शे पर लाने के लिए बहुत परिश्रम किया जा रहा है। लोथल के साथ वेलावदर नेशनल पार्क में इको टूरिज्म से जुड़े सर्किट का लाभ भी भावनगर को होने वाला है, विशेष रूप से छोटे–छोटे जो बिजनेसमेन हैं, छोटे-छोटे कारोबारी हैं, व्यापारी हैं, उनको विशेष होने वाला है।

भाइयों और बहनों,

सौराष्ट्र में किसानों और मछुआरों, दोनों के जीवन में पिछले 2 दशकों में बहुत बड़ा बदलाव आया है। एक समय था, जब जानकारी के अभाव में अक्सर मछुआरों का जीवन खतरे में पड़ जाता था। जब मैं यहां मुख्यमंत्री था, तब मछुआरों को एक लाल रंग की बास्केट दी गई थी, जिसमें अलग अलग बटन लगे थे। दुर्घटना की स्थिति में बटन दबाने पर कोस्ट गार्ड के ऑफिस में सीधा अलर्ट पहुंच जाता था। जिससे तुरंत सहायता पहुंचाना संभव हो पाता था। इसी भावना का 2014 के बाद पूरे देश के लिए हमने विस्तार किया है। मछुआरों की नावों को आधुनिक बनाने के लिए सब्सिडी दी, किसानों की तरह ही मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए।

साथियों,

आज मुझे बहुत संतोष होता है, जब सौनी योजना से हो रहे बदलाव को मैं देखता हूं। मुझे याद है मैंने जब सौनी योना की बात कही थी तो हमारे सौराष्ट्र में मैंने राजकोट में आकर के इसकी शुरूआत की थी। सारे मीडिया वालों ने लिखा था कि देखो चुनाव आया, इसलिए मोदी जी ने घोषणा कर दी है। चुनाव जाएगा, भूल जाएंगे। लेकिन मैंने सबको गलत सिद्ध कर दिया। आज सौनी योजना नर्मदा मैया को लेकर के उसे जहां-जहां पहुंचाने का संकल्प किया था, तेज गति से पहुंच रही है भाइयों। हम वचन के पक्के लोग हैं, हम समाज के लिए जीने वाले लोग हैं।

साथियों,

इस सौनी परियोजना के इसके एक हिस्से का लोकार्पण आज होता है और दूसरे हिस्से पर काम शुरु होता है। हम काम रूकने नहीं देते। आज भी जिस हिस्से का लोकार्पण हुआ है, उससे भावनगर और अमरेली जिले के अनेक डैम तक पानी पहुंच रहा है। इससे भावनगर के गारीयाधार,  जेसर और महुवा तालुका और अमरेली जिले के राजुला और खांभा तालुका अनेक गांवों के किसानों को लाभ होने वाला है। भावनगर, गिर सोमनाथ, अमरेली,  बोटाद, जूनागढ़, राजकोट, पोरबंदर इन जिलों के सैकड़ों गांवों और दर्जनों शहरों तक पानी पहुंचाने के लिए भी आज काम नए सिरे से जोड़ा गया है।

भाइयों और बहनों,

अभाव को दूर करना और जो विकास में पीछे छूट गया, उसका हाथ पकड़कर आगे ले जाना, ये डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता है। गरीब से गरीब को जब साधन मिलते हैं, जब सरकार उनको संसाधन देती है तो वो अपनी तकदीर बदलने में जुट जाता है। वो दिन रात मेहनत करता है और गरीबी से लड़ाई लड़कर गरीबी को परास्त करता है। गुजरात में हम अक्सर गरीब कल्याण मेले का आयोजन करते थे। ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान यहां भावनगर में एक बहन को मैंने तीन पहियें वाली साइकिल दी थी। दिव्यांग बहन थी, तो उसने मुझे क्या कहा। आप देखिए, मिजाज देखिए भावनगर के लोगों का, गुजरातियों का स्प्रिट देखिए, मुझे बराबर याद है। उस बहन ने कहा कि मुझे तो साइकिल चलाना आता नहीं है। मुझे तो इलेक्ट्रिकल ट्राइसिकल दीजिए। ये मिजाज है मेरे गुजरात का, ये मिजाज है मेरे भावनगर का और ये जो विश्वास था, उस बहन के मन में जो भरोसा था, वो भरोसा मेरी सबसे बड़ी पूंजी है भाइयों। गरीबों के यही सपने, यही आकांक्षाएं मुझे निरंतर काम करने की ऊर्जा देते हैं। आपके आशीर्वाद से ये ऊर्जा बनी रहे, और निरंतर आपका प्यार बढ़ता चला जा रहा है। और मैं आज ये जरूर कहुंगा कि मुझे आने में कुछ साल लग गए, मैं देर से आया, लेकिन खाली हाथ नहीं आया हूं। पिछले सालों का जो बकाया था, वो भी लेकर के आ गया हूं। और वैसे भी भावनगर का मेरे ऊपर अधिकार है भाई, आप भावनगर आओ और नरसीबापा का गांठीया, दास के पेड़े और जब गांठीया याद करूं, तब मुझे मेरे हरिसिंह दादा याद आते हैं। कई सालों पहले मैं छोटे कार्यकर्ता के रुप में तब तो मैं राजनीति में भी नहीं था। मुझे गांठीया खाना खाना किसी ने सिखाया है, तो हरिसिंह दादा ने सिखाया। जब अहमदाबाद आए, तब गांठीया लेकर आए, वह हमारी चिंता करते थे। आज जब भावनगर आया हूँ, तब अभी नवरात्रि का व्रत चल रहा है, तो अभी सब किसी काम का नहीं है। फिर भी भावनगर का गांठीया देश और दुनिया में प्रसिद्ध है, यह छोटी-मोटी बात नहीं है दोस्तों। यह भावनगर की ताकत है। साथियों आज विकास के अनेक प्रकल्प लेकर मैं आया हूँ। अनेक परियोजना लेकर आया हूँ। यह भावनगर की युवा पीढ़ी के भविष्य को निश्चित करने वाली योजनाएं हैं। भावनगर के भविष्य को चार चांद लगाने वाली योजनाएं हैं। कोई कल्पना नहीं कर सकेगा, तेज गति से भावनगर का विकास हो, इसके लिए यह योजनाएं हैं। और उसका लाभ समग्र सौराष्ट्र को मिलेगा, सारे गुजरात को मिलेगा और देश को भी उसके फल चखने को मिलेगा। भाइयों-बहनों आपने जो प्यार बरसाया है, जो आशीर्वाद बरसाया है। इतनी विराट संख्या में आप आए हैं, मैं अंतःकरणपूर्वक आपका आभारी हूँ। मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की-जय,

भारत माता की-जय,

भारत माता की-जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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