। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ-साफ कहा है कि भारत चीन के साथ परस्पर सम्मान और संवेदनशीलता के रिश्ते चाहता है। ग्यारह दिन की अपनी अमेरिका यात्रा के समापन पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत की रक्षा को लेकर एक समय में भारत के पास विकल्प कम थे किन्तु आज अनेक विकल्प खुले हैं।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भाग लिया और अमेरिका सहित दुनिया भर के शीर्ष नेताओं से बातचीत की। अमेरिका यात्रा के अंतिम दौर में राजधानी वाशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत अब उन कुछ देशों में से एक हैं, जिनके पास विस्तृत रक्षा विकल्प मौजूद हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ लगातार रिश्तों में सुधार के लिए प्रयासरत है। भारत ऐसा रिश्ता चाहता है, जो आपसी संवेदनशीलता, सम्मान और आपसी हित पर बना हो।
विकास से जुड़े भारत-अमेरिकी हित
चीन से निपटने को लेकर भारत और अमेरिका की योजना पर किए एक सवाल के जवाब में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश हिंद-प्रशांत की बेहतरी व उसे मजबूत बनाने के साझा उद्देश्य रखते हैं। चीन का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है और वह विशेष रूप से विवादित दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की सक्रिय नीति का विरोध करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के हित समृद्धि व विकास से जुड़े हैं। दोनों देशों के हित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता, सुरक्षा, प्रगति, समृद्धि व विकास पर आधारित हैं। दुनिया बदल गई है और हर कोई इस बात की सराहना करता है कि कोई भी देश खुद अकेले अंतरराष्ट्रीय शांति और आम लोगों की भलाई की जिम्मेदारी या बोझ नहीं उठा सकता है।
यूक्रेन को लेकर रुख में बदलाव नहीं
जयशंकर ने यह भी कहा कि यूक्रेन को लेकर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं है। समरकंद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को इस मुद्दे पर भारत के रुख में परिवर्तन का संकेत नहीं माना जाना चाहिए। भारत लगातार यह कहता रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जल्द से जल्द युद्ध समाप्त होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से कहा था, यह युद्ध का समय नहीं है। इसका अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने समर्थन किया है।
सुरक्षा परिषद में सुधार जरूरी
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता को हमेशा खारिज नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद भारत यह भी जानता है कि ये सुधार आसान नहीं हैं। इसीलिए भारत सुधार के लिए प्रयासरत है। सुरक्षा परिषद में वर्तमान में पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। भारत विश्व संस्था के 10 अस्थायी सदस्यों में से एक है। सिर्फ स्थायी सदस्यों के पास ही किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो करने का अधिकार है। भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद में लंबित सुधारों पर कार्रवाई तेज करने को लेकर जोर देता रहा है।