अयोध्या की रामलीला का यह तीसरा संस्करण है। इसमें पहली बार दर्शकों के आने की अनुमति मिली है। रामलीला मंचन के क्रम में कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और माता पार्वती एक-दूसरे से संवाद कर रहे होते हैं। कैलाश पर्वत की तरह सजा मंच भव्यता बढ़ा रहा था। माता पार्वती के निवेदन करने पर भगवान शंकर राम कथा सुनाते हैं। शिव-पार्वती संवाद के साथ ही मंच पर रामकथा की भाव भूमि सजती दिखी।
भगवान शिव कहते हैं कि जब जब होई धरम कै हानि। बाढ़हिं असुर अधम अभिमनी। तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा…।
हे पार्वती जब-जब धर्म की हानि होती है और नीच, अभिमानी असुर बढ़ जाते हैं तब कृपानिधि श्रीहरि अनेक प्रकार का शरीर धारण कर भक्तों की पीड़ा हरते हैं। मंचन के दूसरे दृश्य में नारद जी का प्रवेश होता है।
तीसरे दृश्य में मंच पर सजा इंद्र का दरबार अलौकिक शोभा बढ़ाता नजर आ रहा था। इंद्र व कामदेव के संवाद भी रहा। इंद्र ने कामदेव से नारद मुनि की समाधि भंग करने को कहा। पहले दिन की रामलीला का समापन रावण की तपस्या की लीला मंचन से हुआ।
इससे पूर्व पहले दिन की रामलीला का उद्घाटन कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने किया। रामलीला के महासचिव शुभम मलिक ने सांसद का स्वागत किया। नारद की भूमिका में गुफी पेंटल, रावण की भूमिका में शाहबाज खान ने अपने संवाद व अभिनय से आकर्षण चुराया।





