Search
Close this search box.

शारदीय नवरात्र: दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी का अद्भुत स्वरूप देख श्रद्धालु हुए निहाल

Share:

मां ब्रह्मचारिणी का दरबार: फोटो बच्चा गुप्ता

-माँ ब्रह्मचारिणी के दर्शन से संतान की प्राप्ति होती है, शास्त्रों में मातारानी को संयम की देवी कहा गया है

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मंगलवार को भी काशीपुराधिपति की नगरी आदि शक्ति की साधना में लीन रही। भोर से ही लोग ब्रह्माघाट स्थित माता ब्रह्मचारिणी के दरबार में दर्शन पूजन के लिए पहुंचते रहे। कड़ी सुरक्षा के बीच कतारबद्ध श्रद्धालु अपनी बारी आने पर दरबार में मत्था टेक माँ का अद्भुत स्वरूप देख आह्लादित दिखे। दरबार में गूंजती घंटियों की आवाज और रह-रहकर गूंजता जयकारा ’सांचे दरबार की जय’ से पूरा वातावरण देवीमय नजर आ रहा था।

मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी के दर्शन से संतान की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ माँ धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। इसके पहले तड़के माँ ब्रह्मचारिणी के विग्रह को पुजारी की देखरेख में पंचामृत स्नान कराकर उन्हें नये वस्त्र, आभूषण और मुकुट धारण कराया गया। फिर गुलाब, गुड़हल, बेला, चमेली और कमल सहित अन्य फूलों से दरबार सजाकर उनकी महाआरती की गई। इसके बाद मंदिर का पट श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए खोला गया।

उल्लेखनीय है कि शास्त्रों में मातारानी को संयम की देवी कहा जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमंडल है। अगर आप किसी कार्य में अपनी जीत तय करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है, ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम’।

नवरात्र के दूसरे दिन बाबा की नगरी में श्रद्धालुओं ने दुर्गाकुण्ड स्थित कूष्माण्डा देवी, चौसट्टीघाट स्थित चौसट्ठी देवी, माँं महिषासुर मर्दिनी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित माँ अन्नपूर्णा मंदिर, संकठा मंदिर, माता कालरात्रि देवी मंदिर, तारा मंदिर, सिद्धेश्वरी मंदिर और कमच्छा स्थित कामाख्या मंदिर में भी हाजिरी लगाई। काशी में शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन माँं दुर्गा के तीसरे स्वरूप चन्द्रघण्टा की पूजा होती है। इस रूप को चित्रघण्टा भी कहा जाता है। भक्तों में मान्यता है कि माँ के इस रूप के दर्शन पूजन से नरक से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही सुख, समृद्धि, विद्या सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। इनके माथे पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र बना है। माँ सिंह वाहिनी हैं। इनकी दस भुजाएं है। माँ के एक हाथ में कमण्डल भी है। इनका दरबार चौक कर्णघंटा में है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news