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छात्रवृत्ति ने दिखाई जीवन में सफलता की नई राह, पढ़ें, BHU के कुलपति ने क्या कहा

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बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन को भी छात्र जीवन में 10वीं से 21वीं और फिर इंजीरियरिंग की पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति मिल चुकी है। उनका कहना है कि छात्र जीवन में सफलता के पीछे कहीं न कहीं छात्रवृत्ति का बड़ा योगदान रहा है। किसी भी छात्र को इसके लिए सदैव प्रयास करते रहना चाहिए। कुलपति का कहना है कि दसवीं कक्षा से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई में हर साल छात्रवृत्ति मिली।

1973 में  बिजनौर के राजकीय इंटर कॉलेज के 10वीं के छात्र के रूप में जब पहली बार विद्यालय से छात्रवृत्ति मिली तो बहुत खुशी हुई। इसके बाद 1975 में बारहवीं और फिर आईआईटी रुड़की में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान भी छात्रवृत्ति मिली। तब पढ़ाई के साथ छात्रवृत्ति में जो भी धनराशि मिली, उससे आगे की पढ़ाई की राह आसान होती गई। आईआईटी में भी चार साल लगातार मुझे छात्रवृत्ति मिली।

11वीं, 21वीं के छात्रों के मिलेंगे 50 हजार रुपये

छात्रवृत्ति परीक्षा में नौवीं और दसवीं के प्रादेशिक बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए 30-30 हजार रुपये और 18 और 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों के लिए 50-50 हजार रुपये की 18 छात्रवृत्ति दी जाएगी। प्रादेशिक शिक्षा बोर्ड में नौवीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले और पिछली वार्षिक परीक्षा में न्यूनतम 60 फीसदी अंक पाने वाले वही विद्यार्थी पात्र होंगे, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय डेढ़ लाख रुपये से कम हो।

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