शारदीय नवरात्रि को लेकर तैयारियां शुरू हैं। जिला मुख्यालय समेत जिले के ग्रामीण इलाकों और कस्बों में मां दुर्गा पंडाल का जोर-शोर से निर्माण जारी हैं। इसे लेकर लोगों में अभी से उल्लास है। नवरात्रि को मनाने और मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजन को लेकर अभी से आचार्यों से समय लेने का काम भी शुरू है।
शहर के अलग-अलग मोहल्ले की अलग-अलग समितियां अपने-अपने ढंग से मूर्तियों का निर्माण करवाती हैं या उन्हें खरीद कर पंडालों में स्थापित करवाती हैं, लेकिन जिला मुख्यालय स्थित मां दुर्गा मंदिर के पास स्थापित होने वाला पंडाल आकर्षण का केंद्र रहता है।
जिला मुख्यालय स्थित मां दुर्गा मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित अवधेश पांडेय के अनुसार महराजगंज जिला मुख्यालय पर 40 साल पहले से मां की प्रतिमा निर्माण का कार्य हो रहा है। शारदीय नवरात्रि में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना कराने आते हैं। यहां नौ दिनों तक मेले जैसा माहौल रहता है। अब यह परंपरा बन गई है।
पंडित अवधेश पांडेय का कहना है कि सप्तमी से लेकर हवन होने तक मेला भी लगता है। इस दौरान बच्चों से लेकर बूढ़ों तक कि भारी भीड़ रहती है। पूरे नवरात्रि महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
महिषासुरमर्दिनी प्रतिमा रहेगा आकर्षण
मंदिर परिसर में बनने वाला 40 साल पुराने पंडाल में इस वर्ष महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा का आकर्षण रहेगा। इस प्रतिमा को भव्य रूप दिया जा रहा है।
पांच सौ बांस, डेढ़ कुंतल कील और एक कुंतल रस्सी का उपयोग
महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा और पंडाल तैयार करने की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इसके लिए काफी संख्या में बांस, कील और रस्सियों से लगाया जा सकता है। इसे सजाने के लगभग 500 बांस, डेढ़ कुंतल कील और एक कुंतल रस्सी मंगाया गया है।
सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
श्री पांडेय के मुताबिक तीन से चार दिन आयोजित होने वाले मेले में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहेगा। पुलिस बल के अलावा सैकड़ों वालंटियर लगाए जाते हैं। इस वर्ष यह व्यवस्था और चुस्त हो रही है। महिलाओं से लगाकर बच्चों और बूढ़ों को भी पूरी सुरक्षा मिलेगी। श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग व्यवस्था रहेगी। सुरक्षा के मद्देनजर बिजली के शॉर्ट सर्किट होने की संभावना को लेकर भी विशेष सावधानी बरती जा रही है।
50 फुट ऊंचा और 30 फुट लंबा बन रहा पंडाल
यहां पर मां दुर्गा के पंडाल को 50 फुट ऊंचा तथा 30 फुट लंबा बनाया जा रहा है। क्षेत्रीय कारीगरों द्वारा इसे तैयार किया जा रहा है। इतना ही नहीं, मां महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा के सामने 10 फुट दूरी पर अगरबत्ती और कपूर जलाने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए एक बड़ा सा कड़ाहा रखा जाएगा। सुरक्षा के बावत यहां पर बोरे में बालू भी रखा रहेगा।