जनपद में अति कुपोषित बच्चों के लिए उपचार करने के लिए जिला अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित है। लेकिन इस केंद्र का लाभ अतिकुपोषित बच्चों को नहीं मिल रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सीडीपीओ की लापरवाही के कारण केंद्र में बच्चों को भर्ती ही नहीं किया जा रहा है। इस कारण अतिकुपोषित बच्चे सुपोषित नहीं हो रहे है। पूर्व में अधिकारियों नें केंद्र का निरीक्षण कर निर्देश दिया था कि कुपोषित बच्चों को भर्ती कराकर उनका उपचार कराया जाए, लेकिन कोई अमल नहीं किया गया।
शासन की ओर से बच्चों के विकास के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ गर्भवती माताओं व बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। उचित खानपान की व्यवस्था न होने के कारण बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। जिले में बच्चे अतिकुपोषित करीब दस हजार तथा कुपोषित बच्चें करीब 40 हजार है। इन अति कुपोषित बच्चों के उपचार के प्रति कोई संजीदा नहीं है। पिछले दिनों सीडीओ व प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने निरीक्षण कर बच्चों के भर्ती न कराए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही निर्देश दिया था कि अति कुपोषित बच्चों को यहां भर्ती कराया जाए लेकिन इसको लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती जा रहीं है। सीएमएस डा. राजेश सिंह ने बताया कि अतिकुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कर इलाज कराने के लिए निर्देश दिया है। बाल विकास पुष्टाहार विभाग को पत्र भेजा गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को निर्देशित करें कि एनआरसी में अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती कराएं। जिससे बच्चों का इलाज कर सुपोषित किया जा सके।