बदलते खान पान और आधुनिकता की दौड़ में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं । आलम यह है कि पितृ पक्ष में जिमाने के लिए कौआ खोजने पर भी शहरों में नहीं दिखाई देते हैं। दूसरी ओर तीर्थ नगरी ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र में एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग खिलाड़ी हर रोज प्रातः कौओं को नमकीन खिलाकर अपनी दिनचर्या की शुरुआत करता है।
ग्राम सभा खदरी खड़क माफ के वार्ड नम्बर 5 निवासी कुलदीप सिंह नेगी उर्फ गामा पुत्र बलबीर सिंह नेगी कहने को तो दिव्यांग युवा है, लेकिन उसका शरीर सौष्ठव किसी पहलवान से कम नहीं है। इसी लिए उनके परिजन प्यार से गामा कहकर बुलाते हैं। ज्योति विशेष विद्यालय ऋषिकेश के छात्र रहे कुलदीप सिंह गामा वर्ष 2007-8 में चीन में आयोजित विशेष ओलंपिक में बुच्ची खेल के विजेता रहे हैं। लगभग सात फिट ऊंचाई के इस दिव्यांग अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की जब सरकार ने सुध नहीं ली तो उन्होंने अपने पिता की दुकान पर बैठकर अपनी आजीविका चलाने की सोची।
गामा सुबह होते ही दुकान शुरू करने से पहले पूजा पाठ के बाद कौओं को नमकीन का भोजन कराते हैं।हैरानी की बात है कि अपनी चंचलता के लिए पहचाने जाने वाले यह पक्षी गामा के बुलाने पर इर्द-गिर्द इकट्ठे हो जाते हैं और जमकर नमकीन खाते हैं।पर्यावरण संरक्षण के प्रति जहां जनसामान्य में उदासीनता बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर एक दिव्यांग युवा का यह पक्षी प्रेम पर्यावरण संरक्षण का सुंदर संदेश दे रहा है। कुलदीप सिंह नेगी उर्फ गामा अपनी लगभग सात फुट हाइट के लिए अलग से पहचान बनाये हुए हैं।