जाको राखे साईयां मार सके ना कोई की कहावत उत्तरी हरिद्वार भूपतवाला में चरितार्थ हुई है। मुखिया गली स्थित शीला अपार्टमेंट में आशा आनन्द (74 वर्ष) विगत एक दशक से फ्लैट में निवास कर रही हैं। अविवाहित आशा आनन्द अकेले में फ्लैट में रहती हैं।
विगत दो दिनों से आशा आनन्द न तो फ्लैट से बाहर निकली न ही उन्हें किसी पड़ोसी ने देखा। फ्लैट में अन्दर से दरवाजा बंद था। पड़ोस की महिलाओं ने जब दरवाजा खटखटाया तो फ्लैट से कोई हलचल या आवाज नहीं सुनाई दी। अनहोनी की आशंका से ग्रस्त पड़ोस की महिलाओं ने इसकी सूचना क्षेत्रीय पार्षद अनिरुद्ध भाटी व आशा आनन्द के दिल्ली निवासी रिश्तेदारों को मोबाइल से दी।
अनहोनी की आशंका के चलते सूचना मिलने पर क्षेत्रीय पार्षद अनिरुद्ध भाटी ने खड़खड़ी पुलिस चौकी प्रभारी बीएस कुमांई को अवगत कराया। चौकी प्रभारी ने स्थिति की गम्भीरता के दृष्टिगत तुरन्त मौके पर फोर्स भेजी। स्थानीय पुलिस व पार्षद अनिरूद्ध भाटी की उपस्थिति में स्थानीय महिलाओं व अन्य ने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया। जब दरवाजा नहीं खुला तो अनहोनी की आशंका की दृष्टिगत दरवाजा तोड़ने का निर्णय लिया गया। दरवाजा तोड़कर जब पुलिस व पड़ोसी फ्लैट में दाखिल हुए तो आशा आनन्द की स्थिति देखकर सन्न रह गये। उन्हें विगत दिवस पैरालाइसिस का अटैक पड़ा था, जिस कारण न तो वह बिस्तर से हिल पा रही थी न ही फोन कर या सुन पा रही थीं। इस पर तुरन्त एम्बुलेंस बुलाकर आशा आनन्द को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। उसके पश्चात बेहतर सुविधा व ईलाज के लिए उन्हें रामकृष्ण मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।
आशा आनन्द के भाई प्रबोद्ध आनन्द दिल्ली से हरिद्वार पहुंचे। उन्होंने क्षेत्रीय पार्षद अनिरुद्ध भाटी और सभी पड़ोसी महिलाओं व इलाज में सहयोग करने वाले व्यक्तियों का आभार जताते हुए कहा कि मानवता अभी भी जिंदा है। आप सबके सहयोग से एक वृद्ध महिला की जान बच गयी। सभी का आभार व्यक्त करते हुए वह अपनी बहन आशा आनन्द को अपने साथ बेहतर इलाज के लिए नोएडा ले गये।