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अरुणाचल प्रदेश से लापता माउंट एवरेस्ट विजेता को खोजने का ऑपरेशन सेना ने रोका

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पर्वतारोही​ तापी

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पर्वतारोही तापी (37) को एक माह बाद भी नहीं खोजा जा सका है। अरुणाचल प्रदेश की ऊंची चोटियों में से एक 6890 मीटर ऊंची माउंट क्यारीसाटम पर चढ़ाई के दौरान वह लापता हो गए थे। उन्हें खोजने के लिए भारतीय सेना ने ईस्ट कामेंग प्रशासन के साथ सर्च ऑपरेशन चलाया। सेना ने चार हेलीकॉप्टर भी तैनात किये, लेकिन मौसम खराब होने के कारण वे उड़ान ही नहीं भर सके। लगातार मौसम की खराबी के चलते सेना ने अब सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन रोकने का फैसला लिया है।

पर्वतारोही तापी (37) ने 21 मई, 2009 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। अरुणाचल प्रदेश के पहले माउंट एवरेस्ट विजेता तापी म्रा और उनके सहयोगी निको दाओ इस समय अरुणाचल प्रदेश की 6890 मीटर ऊंची छोटी माउंट क्यारीसाटम पर चढ़ाई के आधिकारिक मिशन पर थे। पिछले माह दोनों पर्वतारोहियों के लापता होने की जानकारी अरुणाचल के ईस्ट कामेंग जिला प्रशासन को मिली। इस पर प्रशासन ने अपने स्तर पर खोजबीन शुरू की लेकिन कामयाबी न मिलने पर सेना को भी सर्च ऑपरेशन में शामिल किया गया।

भारतीय सेना के साथ तालमेल करके ईस्ट कामेंग के डीसी प्रभिमल अभिषेक ने एक टीम का गठन किया। 27 अगस्त से दोनों को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। इसके लिए दो टीमें बनाई गईं जिसमें एक पैदल टीम और दूसरी हेलीकॉप्टर टीम थी। पैदल टीम में कुल 34 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें 31 सेना के जवान और स्थानीय पर्वतारोही थे। पैदल सर्च टीम वेओ गांव तक पहुंची, लेकिन खराब मौसम और लगातार बारिश के चलते वे नदी को पार नहीं कर पाए। इसके बाद उनको वापस बुलाना पड़ा। इस दौरान तामी म्रा के परिजन भी वहां पहुंच गए।

पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश के कारण नदियां उफान पर होने से लापता पर्वतारोही तापी म्रा और उनके सहायक निकू दाओ की पैदल खोज और बचाव अभियान 07 सितम्बर को बंद कर दिया गया। इस दौरान इस सर्च ऑपरेशन की मदद के लिए सैटेलाइट की भी मदद लेने का प्रयास किया गया। आईआरएस की भी मदद ली गई, लेकिन मौसम खराब होने के कारण उस दौरान की कोई भी तस्वीर नहीं मिल पाई। इसके अलावा एनआरएससी और एनईएसएसी से भी कोई सुराग नहीं मिल पाया। अरुणाचल प्रदेश सरकार और भारतीय सेना के जवानों ने लापता पर्वतारोही और उनके सहायक की खोज और बचाव के लिए अभियान चलाए रखा, लेकिन लगातार हो रही बारिश सर्च ऑपरेशन में बाधा बनी रही।

इसके बाद सर्च अभियान में सेना ने चार हेलीकॉप्टर लगाए जो लगातार मौसम खराब होने के कारण उड़ ही नहीं पाए। लेफ्टिनेंट कर्नल संतोष कुमार राय ने बताया कि पैदल सर्च बंद किये जाने के बाद आठ सितंबर को मौसम खुलने पर हेलीकॉप्टर से सर्च अभियान शुरू किया गया। इसमें स्थानीय पर्वतारोहियों को भी रखा गया। इसके बाद बेस कैंप में सेना के जवानों को उतारा गया। मौसम खुलने पर वे कैंप-1 तक गए और वहां पर सर्च ऑपरेशन किया। इसके बाद वे कैंप-2 तक भी पहुंचे और वहां पर खोजबीन की।

उन्होंने बताया कि इस बीच लगातार मौसम खराब होने से कैंप-2 में दृश्यता कम होने के कारण सर्च ऑपरेशन में लगातार दिक्कतें आने लगीं। इसके बाद भी सेना के जवान सर्च में जुटे रहे लेकिन जब वहां का मौसम ज्यादा ही खराब होने लगा तो इस सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन को फिलहाल रोकने का फैसला लिया गया, ताकि किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हो। यह निर्णय जिला प्रशासन और भारतीय सेना ने संयुक्त रूप से विचार-विमर्श के बाद लिया है।

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