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ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर आज भी सुनवाई रहेगी जारी

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EWS Reservation supreme court questions Whether economic reservation will  not cut the merit share - EWS Reservation: सुप्रीम कोर्ट का सवाल- आर्थिक  आरक्षण से क्या मेरिट के हिस्से में कटौती ...

 

सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच आज ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच सुनवाई कर रही है।

21 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा बालाजी के फैसले के बाद आया जिसमें कोर्ट ने ये कहा था कि सामान्य वर्ग के लोगों का अधिकार खत्म न हो। उन्होंने कहा था कि राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के मुताबिक ये सरकार की जिम्मेदारी है कि बराबरी कायम रहे और उसी की वजह से ईडब्ल्यूएस लाया गया। अटार्नी जनरल ने कहा था कि 50 फीसदी आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं है। अटार्नी जनरल ने कहा था कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कुछ नहीं बदला है और वे लाभप्रद स्थिति में रहेंगे। उन्होंने कहा ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण से स्वतंत्र है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता ये भूल रहे हैं कि संविधान संशोधन को तभी निरस्त किया जा सकता है अगर वो मूल ढांचे को उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि मान लें कि संसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता से छेड़छाड़ करती है तो वह मूल ढांचे से छेड़छाड़ होगा। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमने सार्वजनिक नियोजन और शैक्षणिक संस्थानों में ईडब्ल्यूएस कोटा का डाटा मांगा है। तब मेहता ने कहा था कि किसी संविधान संशोधन को निरस्त करने के लिए डाटा मदद नहीं करेगा। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम ऐसा नहीं कह रहे हैं।

20 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का बचाव करते हुए कहा था कि ये समाज के कमजोर तबकों के लिए है। उन्होंने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी अपने आप में पिछड़ी जातियां हैं। लेकिन सामान्य वर्ग में भी कमजोर तबके हैं जिन्हें संविधान की धारा 15(5) और 15(6) में मान्यता मिली है। उन्होंने कहा था कि ईडब्ल्यूएस की देश में कुल आबादी 25 फीसदी है। इस पर चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा था कि क्या कोई आंकड़ा है जो ये बताए कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस का फीसदी कितना है। तब अटार्नी जनरल ने कहा कि 18.1 फीसदी। तब जस्टिस भट्ट ने कहा था कि आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। उसके बाद का क्या अपडेट है। अटार्नी जनरल ने कहा था कि एक बड़ी संख्या जो मेधावी है उसे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आवेदन करने से वंचित हो सकते हैं। उन्होंने कहा था कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण एससी, एसटी और ओबीसी की हकमारी नहीं कर रहा है। ये पचास फीसदी से अलग है। इसमें मूल ढांचे के उल्लंघन का कोई मामला नहीं है।

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इंदिरा साहनी के फैसले में जाति को सामाजिक वर्ग माना गया है। इस फैसले में कहा गया है कि आर्थिक आधार पर कोई भी वर्गीकऱण धारा 14 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि धारा 14 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है और ये बराबरी के सिद्धांत पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सवाल अपने आप में आर्थिक मानदंड का उल्लंघन है।

15 सितंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि ये बराबरी के संवैधानिक मूल्य का उल्लंघन करता है और संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कभी चर्चा नहीं की गई है। वहीं ईडब्ल्यूएस के समर्थन में दलील देनेवालों के मुताबिक ये आरक्षण काफी समय से अपेक्षित था और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

8 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए जो बिंदु तय किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो ये विचार करेगा कि क्या संविधान में 103वां संशोधन मूल ढांचे के विरुद्ध है जिसने सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण की शक्ति दी। कोर्ट यह भी तय करेगा कि क्या इस संशोधन ने गैर सहायता प्राप्त निजी संस्थान में दाखिले के नियम बनाने की शक्ति दी। इसके अलावा यह कि क्या 103वें संशोधन के जरिए ओबीसी, एससी-एसटी को शामिल नहीं कर संविधान की मूल भावना का उल्लंघन किया गया।

चीफ जस्टिस यूयू ललित के अलावा इस संविधान बेंच ने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट, जस्टिस बेला में त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं। याचिका में 2019 में ईडब्ल्यूएस आरक्षण कानून को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस मामले में चार वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया है जो ईडब्ल्यूएस आरक्षण और मुस्लिमों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में आरक्षण देने वाली याचिकाओं में समान दलीलों पर गौर करेगी।

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