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अस्तित्व बना इतिहास : बड़हलगंज का गोनघट गांव का अंतिम घर भी सरयू में विलीन

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सांकेतिक फोटो

जिलेे के बड़हलगंज क्षेत्र के गोनघट गांव का बचा अंतिम घर भी मंगलवार की रात को सरयू नदी में विलीन हो गया। यहां केवल शंकर का मकान बचा था। मंगलवार की रात को इनके मकान के सरयू नदी में विलीन होने के साथ ही गांव का अस्तित्व मिट गया है। अब यह गांव केवल काग़जों तक ही सिमट कर रह गया है। गांव का अस्तित्व रूपी हकीकत अब इतिहास बन गया।

दो दशक पूर्व सरयू नदी ने इस क्षेत्र में कटान शुरू किया था। हालांकि, उस वक़्त किसी को यह अनुमान नहीं था कि प्रशासन भी कटान होने वाले उन गांवों को बचा नहीं सकेगा। समय के साथ जगदीशपुर, कोलखास व कोटिया दीपशाह गांव कटान की बलि चढ़ गए। कोलखास व कोटिया दीपशाह का अस्तित्व लगभग एक दशक पूर्व मिट गया। जबकि जगदीशपुर गांव पिछले वर्ष सितंबर माह में कागज तक सिमट कर रह गया। उस समय गांव में बचे संजय पांडेय के अंतिम मकान को राप्ती ने लील लिया था। अब सरयू ने यही कहानी गोनघट गांव के साथ लिख दी है। मंगलवार यानी 20 सितंबर 2022 की रात में गांव का बचा अंतिम घर अठखेलियाँ कर रही सरयू की धारा में खुद को समा लिया।

इन गांवों पर भी खतरा

खैराटी, कोटिया निरंजन और मुसाडोही गांव पर भी नदी में विलीन होने का खतरा मंडरा रहा है। वज़ह, इन गांवों में तेजी से कटान शुरू हो गई है। हर रोज कृषि भूमि कटकर नदी में समा रही है। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारियों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही है। इनकी उदासीनता अब इन गांवों के लोगों को न सिर्फ अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मज़बूर करेगा बल्कि इन्हें खानाबदोश जीवन व्यतीत कराने का असहनीय दर्द भी देगा।

कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

उधर, ग्रामीण क्षेत्र में राप्ती व सरयू नदी का तांडव जारी है। बुधवार की सुबह तक दो दर्जन से अधिक गांवों की लगभग पच्चीस हजार से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित हो गई। बाढ़ का पानी अब आबादी वाले क्षेत्रों में बढ़ रहा है और लोग अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं। रोजमर्रा की जरूरतों व पशुओं के लिए चारा का संकट खड़ा है। हालांकि, प्रशासन ने आनन-फानन में दो दर्जन नावों को आवागमन के लिए लगवा दिया है, बावजूद इसके यह अपर्याप्त है। राप्ती का जलस्तर बढ़ने से लखनौरी, लखनौरा, खोहियापट्टी, बिहुआ उर्फ अगलगौवा, हिगुंहार, सुबेदारनगर माझा, नेतवारपट्टी, मरकड़ी, भटपुरवा, कोईलीखाल और सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से जैतपुर, कोटियानिरंजन, खैराटी, गोनहा, मुसाडोही, ज्ञानकोल, कोलखास, बल्थर, अजयपुरा, गोरखपुरा, बरडीहा, भयपुरा आदि गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं।

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