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सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हिजाब मामले पर आज भी सुनवाई

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कर्नाटक: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई होगी सुनवाई - Supreme Court will hear Karnataka hijab row on 5th September ntc - AajTak

सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक हिजाब मामले में आज भी सुनवाई जारी रखेगा। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच नौवें दिन इस मामले की सुनवाई करेगी। 20 सितंबर को याचिकाकर्ताओं की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। इनके वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं की गरिमा को बढ़ाता है। यह संविधान की धारा 19 और 21 के तहत एक संरक्षित अधिकार है।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्थिर है और अवैध है। हाई कोर्ट का फैसला धारा 14, 19, 21 और 25 का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने अनिवार्य धार्मिक परंपरा की कसौटी पर सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने की वैधता का परीक्षण करने में गलती की।

कर्नाटक सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2021 से पहले कोई मुस्लिम लडकी हिजाब नहीं पहन रही थी। न ही ऐसा कोई सवाल उठा। यह कहना गलत होगा कि सरकार ने सिर्फ हिजाब बैन किया है, दूसरे समुदाय के लोगों को भी भगवा गमछा पहनने से रोका गया है।

मेहता ने कहा था कि 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने सोशल मीडिया पर हिजाब पहनने के लिए अभियान शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज फैलाये गए। हिजाब पहनने का फैसला बच्चों का नहीं था। बच्चे उस हिसाब से काम कर रहे थे, जैसा उनको समझाया गया था।

हिजाब समर्थक वकीलों की दलीलों के समर्थन में सिखों की पगड़ी का हवाला देने के जबाब में मेहता ने कहा था कि सिखों के केस में पगड़ी और कड़ा उनकी अनिवार्य धार्मिक परम्परा है। आप दुनिया के किसी भी कोने में इनके बिना किसी सिख की कल्पना नहीं कर सकते हैं।

मेहता ने अपनी दलीलों के जरिये ये साबित करने की कोशिश की हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं है। उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता कोई ऐसी दलील नहीं रख पाए जिससे साबित हो कि हिजाब इस्लाम धर्म का शुरुआत से हिस्सा रहा हो या इस धर्म मे इसको पहनना बेहद जरूरी हो। मेहता ने ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कई इस्लामिक देशों में महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं, मसलन ईरान में। इसलिए मेरी दलील है हिजाब कोई इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक परम्परा नहीं है।

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