अर्जुन पुरस्कार विजेता व 2000 सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली देश की सर्वश्रेष्ठ महिला तैराकों में से एक निशा मिलेट ने कहा है कि राष्ट्रीय खेल मिनी-ओलंपिक की तरह हैं और देश में सबसे महत्वपूर्ण खेल आयोजन हैं। बता दें कि 36वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 29 सितंबर से गुजरात में होने जा रहा है।
पूर्व ओलंपियन निशा ने कहा, राष्ट्रीय खेल देश में सबसे अच्छा आयोजन हैं। यह एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है,जहां इतने सारे खेलों के देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीट इकट्ठा होते हैं, जिससे मिनी-ओलंपिक का एहसास होता है।
उन्होंने कहा, मैंने तीन राष्ट्रीय खेलों, पुणे (1994), बैंगलोर (1997) और इंफाल (1999) में भाग लिया और वे खूबसूरत यादें अभी भी मेरे दिमाग में ताजा हैं। मैंने पुणे (एक कांस्य) में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, लेकिन मैं बैंगलोर और इंफाल में मैंने क्रमशः 8 और 14 स्वर्ण जीते थे।
उन्होंने कहा, बेंगलुरू से इंफाल तक का यह एक लंबा सफर था और मुझे याद है कि जब मैंने 14 स्वर्ण जीते तो मैं शहर में चर्चा का विषय बन गई। मेरा यह यादगार प्रदर्शन थी क्योंकि इससे मुझे सिडनी में 2000 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने का मौका मिला।
निशा को खुशी है कि तैराकी में देश का लगभग हर प्रमुख तैराक राजकोट में प्रतिस्पर्धा करेगा, जिससे तैराकी सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी खेलों में से एक बन जाएगी।
उन्होंने कहा, यह वास्तव में रोमांचक होने वाला है। मुझे कई बड़े मुकाबलों की उम्मीद है। मुझे लगता है कि हम कुछ नए चैंपियन देखेंगे और कुछ जूनियर सीनियर्स को चौंका देंगे।
निशा को उम्मीद है कि राष्ट्रीय खेल अब नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे।
अर्जुन पुरस्कार विजेता निशा ने कहा, खेल युवा एथलीटों के मनोबल को बढ़ाते हैं, उन्हें जीतने की आदत में भी मदद करते हैं। वे अत्याधुनिक खेल बुनियादी ढांचे का भी निर्माण करते हैं जो बहुत महत्वपूर्ण है।
निशा ने हाल ही में बैंगलोर में एक तैराकी अकादमी खोली है, जहां छोटे बच्चों (एक साल और उससे अधिक उम्र के) को सिखाया जाता है। वह नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्विमिंग इनिशिएटिव से भी जुड़ी हुई हैं।