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पुत्र की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा निर्जला व्रत

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शहर के ददरी घाट शिव मंदिर में जिउतिया व्रत की कथा सुनतीं महिलाएं। संवाद

 पुत्र की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना को लेकर माताओं ने रविवार को जिउतिया व्रत परंपरागत तरीके से रखा। इस दौरान व्रती महिलाओं ने गंगा, तालाब, पोखरे और मंदिरों में विधि विधान से पूजन-अर्चन किया। पूरे दिन माताओं ने निर्जला व्रत रखा। शाम को गंगा में स्नान कर पुत्र की रक्षा के प्रतीक जिउतिया का पूजन किया। घरों, मंदिरों और घाटों पर पंडितों ने जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनाई। शहर के ददरीघाट, महादेव घाट, कलेक्टरघाट, चीतनाथ घाट आदि पर शाम को महिलाओं की भीड़ जुटी रही।

इस दौरान शहर के ददरीघाट के आसपास वाहनों की कतार लग गई थी। घाटों पर भीड़ की वजह से लोगों को गुजरना मुश्किल हो गया था। वहीं, ददरीघाट, महादेव घाट, कलेक्टरघाट, चीतनाथ घाट पर देर शाम तक घाटों के किनारे मिठाई, फल-फूल, खिलौना, गुब्बारा आदि की दुकानें सज जाने से मेले जैसा माहौल बना गया था।

गहमर : जीवित्पुत्रिका पर हजारों की संख्या में क्षेत्र की महिलाओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाकर अपने पुत्रों की दीर्घायु होने की कामना की। स्थानीय गांव के नरवा गंगा घाट पर जीवित्पुत्रिका व्रत पर रविवार की दोपहर से व्रती महिलाओं का आगमन शुरू हो गया था। गांव के अलावा अगल-बगल के गांवों से भी काफी संख्या में महिलाएं पहुंचकर गंगा स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की। यह स्थिति पश्चिमी पंप कैनाल घाट, सोझवा घाट, बाघमारा, पंचमुखी आदि घाटों पर भी रही। भारी भीड़ के मद्देनजर सभी घाटों पर पुलिस-प्रशासन चुस्त रहा।
रेवतीपुर : रविवार को जिउतिया पर्व क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। क्षेत्र के रेवतीपुर, रामपुर, तिलवां, गोपालपुर, टौंगा, उधरनपुर आदि गांवों में गंगा घाट एवं पोखरा पर महिलाओं ने स्नान कर पूजन-अर्चन किया। वहीं मंदिरों और पोखरा के किनारे पंडितों ने जिउत्पुत्रिका व्रत की कथा का वाचन किया।
जमानिया : व्रती महिलाओं ने सूर्य पूजन के बाद क्षेत्र के चक्काबांध गंगा घाट, बडेसर गंगा घाट व नगर स्थित जमदग्नि-परशुराम गंगा घाट, कंकडवा घाट के किनारे व्रती महिलाओं ने डुबकी लगाई।

दुबिहा : क्षेत्र के हरदासपुर, नेवादा, असावर, कमसडी, दुबिहां, गोबिंदपुर, भठवा, सरेजा गांव की महिलाओं ने परंपरागत ढंग से पर्व को मनाया।
मुहम्मदाबाद : महिलाओं ने निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत रख कर बच्छलकापूरा, सेमरा, बड़कीबारी, गौसपुर गंगा तट पूजन अर्चन किया। माताओं ने लगभग 30 घंटे तक निर्जला व्रत किया। शनिवार की रात्रि में मीठी पूड़ी, जिसे ओठखन भी कहा जाता है, उसका भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण कर व सतपुतिया की सब्जी खाकर और भोर में चिल्हो सियारो को दाना देकर व्रत रखा। इसी प्रकार सादात, भांवरकोल, जमानिया, देवकली, सिधौना, करंडा, बिरनो, सेवराई, दिलदारनगर, जंगीपुर, बिरनो, मरदह, दुल्लहपुर, सुहवल आदि क्षेत्रों में पर्व परंपरागत ढंग से मनाया गया।

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