विपक्ष के साथ महागठबंधन बनाने में जुटे बिहार के सीएम नीतीश कुमार की फूलपुर संसदीय सीट से उम्मीदवारी की अटकलों ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। पिछड़ा बाहुल्य इस सीट पर नीतीश के आने से जहां विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा होने लगा है, वहीं राजनीतिक गणितज्ञों का मानना है कि इससे पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ अन्य भाजपा विरोधी मतों का महागठबंधन के साथ ध्रुवीकरण भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो आने वाले लोस चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा सकेगी।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कुर्मी बाहुल्य फूलपुर संसदीय सीट से उम्मीदवारी तय होने पर पूरे पूर्वांचल का चुनावी समीकरण बदल सकता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की कर्मस्थली रही फूलपुर लोक सभा सीट पर अब तक हुए चुनावों में आठ बार कुर्मी उम्मीदवार को जीत मिल चुकी है। नीतीश कुमार कुर्मी होने के साथ ही बिहार में इस बिरादरी के कद्दावर नेता के तौर पर जाने जाते हैं। माना जा रहा है कि नीतीश के इस सीट से आने के बाद यूपी में यादवों के बाद दूसरे नंबर की सबसे बड़ी कुर्मी बिरादरी विपक्ष के पाले में आसानी से एकजुट हो सकती है।
इसके अलावा अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को भी सियासी खेमेबंदी में बांधने में कामयाबी मिल सकती है। इसी वजह से जेडयू के कार्यकर्ता फूलपुर से नीतीश की उम्मीदवारी के लिए पार्टी का ध्यान खींच रहे हैं। इसके लिए कई नेताओं ने जेडीयू अध्यक्ष को पत्र भी भेजा है। आगामी लोक सभा चुनाव के लिए महागठबंधन बनाने की मुहिम पर निकले नीतीश की कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात को लेकर भी विपक्षी दलों में चर्चा शुरू हो गई है।
कांग्रेस की ऑल इंडिया वर्किंग कमेटी के सदस्य और राज्य सभा सदस्य प्रमोद तिवारी फूलपुर से नीतीश की उम्मीदवारी का जिक्र आते ही गंभीर हो जाते हैं। वह कहते हैं कि बिहार में हम नीतीश के साथ सरकार में हैं। जब भी फूलपुर से उनकी उममीदवारी पर चर्चा होगी तो जरूर हम लोग बात करेंगे। प्रमोद कहते हैं कि नीतीश पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता हैं। उनके आने से एंटी बीजेपी मतों का ध्रुवीकरण हो जाएगा।
1996 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के जंग बहादुर सिंह पटेल ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम को हराया था। जब बहुजन समाज पार्टी प्रदेश में अपनी जमीन तैयार कर रही थी उस समय कांशीराम के साथ जंग बहादुर पटेल भी थे। कांशीराम और जंग बहादुर की पहचान गुरु-शिष्य के रूप में थी। उस चुनाव में चेले ने गुरु पर 16 हजार 21 वोट के अंतर से विजय प्राप्त की थी। इसी चुनाव में अपनादल के संस्थापक सोनेलाल पटेल ने भी फूलपर से अपनी राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश की थी। तब अपना दल संस्थापक को सिर्फ 0.44 प्रतिशत मत मिले थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट पर 19.75 लाख मतदाता थे। इनमें 10.83 लाख पुरुष वोटर और 8.91 लाख महिला वोटर हैं।
दिग्गजों की सीट रही है फूलपुर
फूलपुर से पं. जवाहर लाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्र और विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे दिग्गज चुनाव जीत चुके हैं। इसी तरह डॉ. राम मनोहर लोहिया, बीएसपी संस्थापक कांशीराम, अपना दल संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल और क्रिकेटर मोहम्मद कैफ जैसे दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है।