खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) विशेष रूप से देश के जनजातीय क्षेत्रों में फोर्टिफाइड चावल को लोकप्रिय बनाने और जागरूकता के प्रसार के उद्देश्य से जनजातीय पट्टियों के उन संवेदनशील क्षेत्रों और जिलों में कार्यशालाओं और सेमिनारों के आयोजन के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, राजस्थान, केरल के साथ समन्वय कर रहा है, जहां थैलेसेमिया और सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित आबादी निवास करती है।
अभी तक 4 राज्यों के 5 स्थानों पर कार्यशालाओं/ सेमिनारों का आयोजन किया जा चुका है, जो इस प्रकार हैं- गुजरात में वलसाड, महाराष्ट्र में नंदुरबार और नासिक, छत्तीसगढ़ में कांकेर और झारखंड में सिंहभूम, जमशेदपुर।
विशेषज्ञों ने फोर्टिफिकेशन के महत्व और इससे देश के लोगों की पोषण आवश्यकताओं को कैसे पूरा किया जाएगा, इस बात पर चर्चा की। नासिक में, एमएस विश्वविद्यालय, वडोदरा में सहायक प्रोफेसर (डॉ.) हेमांगिनी गांधी ने प्रस्तुतीकरण दिया। इसके बाद नेटप्रोफैन- नागपुर चैप्टर और कॉर्पोरेट न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रेणुका मैंदे ने फोर्टिफाइड राइस, सार्वजनिक स्वास्थ्य और हीमोग्लोबिनोपैथीज पर इसके सकारात्मक प्रभाव पर एक प्रस्तुतीकरण दिया।
श्री विवेक शुक्ला ने चर्चा को समाप्त करते हुए लाभार्थियों को सही सूचना उपलब्ध कराने पर जोर दिया, ताकि आशंकाओं को समय रहते दूर किया जा सके। कार्यशाला को स्थानीय मीडिया द्वारा भी कवर किया गया था और इसमें एफपीएस डीलरों, विशेष रूप से नासिक के आदिवासी क्षेत्रों के डीलरों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था।
नांदुरबार जिले में गुजरात की नोडल ऑफिसर (एनएफएसए कनकरेंट इवैल्यूएशन डी/ फूड एंड पीडी- भारत सरकार) प्रोफेसर (डॉ.) सीरीमावो नायर ने फोर्टिफाइड फसल और उसके सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव पर एक प्रस्तुतीकरण दिया। इसके अलावा डॉ. पंजाबराव देशमुख मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, अमरावती से डॉ. नरेश तायाडे और नांदुरबार, महाराष्ट्र के जिला अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नारायण बावा ने भी फोर्टिफाइड चावल और उसके हीमोग्लोबिनोपैथीज के साथ संबंध पर प्रस्तुतीकरण दिए। प्रस्तुतीकरणों के बाद एफसीआई और डी/ओ फूड एंड पीडी के तकनीकी विशेषज्ञों और अधिकारियों द्वारा पैनल चर्चा और क्यूएंडए सत्र का आयोजन किया गया।
फोर्टीफिकेशन 1:100 के अनुपात (100 किलोग्राम कस्टम मिल्ड चावल के साथ 1 किलोग्राम एफआरके मिलाकर) में सामान्य चावल (कस्टम मिल्ड चावल) में एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सूक्ष्म पोषक तत्वों (लौह, फोलिक एसिड, विटामिन बी12) को जोड़कर फोर्टिफाइड चावल कर्नेल (एफआरके) तैयार करने की प्रक्रिया है।
फोर्टिफाइड चावल सुगंध, स्वाद और बनावट में काफी हद तक पारम्परिक चावलों के समान होता है। यह प्रक्रिया चावल की मिलिंग के समय राइस मिलों में की जाती है।
लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन और आपूर्ति के लिए राइस मिलर्स, एफआरके विनिर्माताओं, उद्योगों और अन्य हितधारकों को जोड़कर राइस फोर्टिफिकेशन इकोसिस्टम को खासा बढ़ाया गया है। देश में 9000 से अधिक चावल मिलें हैं जिन्होंने फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन के लिए सम्मिश्रण इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया है और उनकी कुल मासिक उत्पादन क्षमता लगभग 60 एलएमटी है जो पिछले वर्ष की तुलना में 4 गुनी से ज्यादा बढ़ गई है।
कम टर्नअराउंड टाइम (टीएटी) के साथ खुराक में विटामिन और खनिज सामग्री बढ़ाने के लिए चावल के फोर्टिफिकेशन को लागत के लिहाज से किफायती और पूरक रणनीति और पोषण सुरक्षा की दिशा में एक कदम माना जाता है। साथ ही इससे देश में रक्ताल्पता और कुपोषण से लड़ने में सहायता मिलती है। इस रणनीति को दुनिया के कई देशों में लागू किया गया है।