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पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम से ही ओजोन परत का संरक्षण संभव

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पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम से ही ओजोन परत का संरक्षण संभव।

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार में विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर छात्र छात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन की रोकथाम एवं ओजोन परत संरक्षण का संकल्प लिया। इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर महासचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 16 सितंबर को विश्व ओजोन परत संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं राष्ट्र के प्रयासों के बाद मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के बाद 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व ओजोन दिवस घोषित किया गया था ।ओजोन परत को कम करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर 1987 में लगभग सभी देश द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।

ओजोन परत के क्षरण के कारण यह दिन महत्वपूर्ण है। ओजोन गैस की नाजुक परत है जो लोगों को हानिकारक किरणों से बचाती है। लेकिन मानव गतिविधियाँ पेड़ पौधों की अंधाधुन कटाई , जहरीली गैसों को हवा में छोड़े जाने पर पृथ्वी के प्राकृतिक प्रतिमान के लिए खतरा बन उत्पन्न हो गई है । आम लोगों में जागृति लाने के लिए ओजोन-क्षयकारी पदार्थों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। ओजोन परत के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र के सभी 197 सदस्यों द्वारा अनुसमर्थित होने वाला पहला प्रोटोकॉल है ।

भारत सरकार द्वारा इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए गए।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2019 में “India Cooling Action Plan (ICAP)” लांच किया। इस कार्य योजना का उद्देश्य रेफ्रिजरेंट ट्रांजिशन को कम करने, कूलिंग डिमांड को कम करने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक एकीकृत दृष्टि प्रदान करना है।

यह देशों के लिए सभी ओजोन-क्षयकारी पदार्थों जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन एरोसोल, हैलोन आदि के अस्तित्व पर अंकुश लगाने के लिए एक समझौता था, जिनका व्यापक रूप से शीतलन और प्रशीतन उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। इन हानिकारक पदार्थों के उपयोग से अंटार्कटिका में ओजोन परत में छेद हो गया था। यह छेद 1970 में खोजा गया था और पिछले 20 वर्षों में तीव्र ग्लोबल वार्मिंग का कारण बना है। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा संयुक्त रुप से पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन रोकथाम के लिए पेड़ पौधे लगाने , पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक बर्तनों के लिए जन जागरण अभियान चला रहा। इसके लिए शहर में नीम पीपल चंपा एवं तुलसी के पौधे लगाए जा रहे हैं।

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