आदिवासी समाज के एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत से पसरा सन्नाटा
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दिलकुशा कॉलोनी में दीवार गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 5 लोग प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील मऊरानीपुर के ग्राम पचवारा के एक ही परिवार के रहने वाले बताए गए हैं। परिवार में बूढ़ी मां के अलावा अब कोई नहीं बचा है। परिवार का एक सदस्य लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। यह दिल दहला देने वाली खबर आने के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है।
अपनों की राह देख रहीं बूढ़ी आंखें
गांव में बूढ़ी मां भगवती देवी झोपड़ी में रहकर अपना गुजर-बसर कर रही है। और उसके बेटे पप्पू पुत्र घनश्याम, मानभुवन पत्नी पप्पू, प्रदीप पुत्र पप्पू और रेशमा पत्नी प्रदीप, नैना पुत्री प्रदीप उम्र 1 वर्ष, गोलू पुत्र पप्पू उम्र 18 वर्ष अपने रिश्तेदार धर्मेंद्र जो जतारा के रहने वाले हैं, के साथ लखनऊ मजदूरी करने गए थे। गांव में भरण पोषण न होने के कारण और एक ही झोपड़ी में परिवार के साथ गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा था। जिसके चलते उन्हें गांव से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। पचवारा के पप्पू ,मान भुवन ,प्रदीप ,रेशमा, व नैना की दीवाल गिरने से दर्दनाक मौत हो गई। जबकि गोलू की हालत गंभीर बनी हुई है जो लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।
ग्रामीणों ने बताई दास्तां
ग्राम पचवारा के ग्रामीणों ने बताया कि यह सब आदिवासी जाति के लोग हैं। जिनके पास रहने के लिए भी घर नहीं है। पूरा परिवार झोपड़ी में रहता था। और दो वक्त की रोटी के लिए इधर-उधर काम करने के लिए चले जाया करते थे। परिवार में बस एक बूढ़ी मां है जो गांव में ही झोपड़ी में रहती है। उक्त लोगों के पास कोई भी जमीन नहीं है। सब अपना भरण-पोषण मजदूरी के सहारे ही किया करते थे। हादसे की खबर सुनकर पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। बताया गया कि पप्पू अपनी पत्नी,लड़के और बहू को साथ में लेकर मजदूरी करने गया था।प्रदीप की 1 साल की मासूम बच्ची भी साथ में रहती थी। उसकी भी उक्त हादसे में दर्दनाक मौत हो गई है। वहीं गोलू की हालत गंभीर बनी हुई है।
तहसीलदार ने भेजी रिपोर्ट
झांसी जिला प्रशासन के आदेश के बाद मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने पचवारा गांव पहुंचकर बूढ़ी मां से बातचीत की और ग्रामीणों से भी वार्ता की। साथ ही रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन को भेजकर सहायता राशि दिलवाए जाने की बात कही।