यूपी के एक के बाद एक आईएएस अफसरों का यह सेवा छोड़ने का प्रस्ताव चर्चा का विषय बना हुआ है। इन अफसरों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन या त्यागपत्र की वजह ‘व्यक्तिगत या स्वास्थ्य संबंधी’ बताई है। पर असली कारण मन में असंतोष, तो कहीं असंतोष के साथ ही निजी क्षेत्र में बेहतर अवसर होना बताया जा रहा है।
पिछले दो महीनों में यूपी काडर के तीन आईएएस अधिकारी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं, जबकि दो ने त्यागपत्र भेज दिया है। सपा शासन के दौरान 1993 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने यह सेवा छोड़कर उबर कंपनी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पाई थी। इसके बाद अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मन में निजी क्षेत्र का आकर्षण किसी से छिपा नहीं रहा है।
2005 बैच के आईएएस जी. श्रीनिवासुलु के मंगलवार को इस्तीफा देने से इस तरह के मामले और चर्चा में आ गए। श्रीनिवासुलु का कार्यकाल जुलाई 2030 तक बचा है। उन्होंने अपने इस्तीफे का लिखित कारण स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बताई हैं, लेकिन उनके काडर के लोग इसे प्रमोशन से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल विशेष सचिव श्रीनिवासुलु के बैच के सभी अधिकारी पदोन्नति पाकर सचिव बन चुके हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश में प्रतिनियुक्ति के दौरान के कुछ ‘स्पष्टीकरण’ के चलते उनकी पदोन्नति नहीं हो सकी।
ये कारण भी…
एक आईएएस अधिकारी नाम न छापने के आग्रह पर बताते हैं कि 2004 के बाद इस सेवा में भी पेंशन नहीं रह गई है। कई आईएएस अफसर निजी क्षेत्र में यहां से कई गुना पैकेज पर नौकरी पा गए। इसलिए इस नौकरी में एक निश्चित पड़ाव पूरा कर चुके अधिकारियों को निजी क्षेत्र ज्यादा भा रहा है। चर्चा ऐसी भी है कि जिनका ज्यादा कार्यकाल बचा था, उनका सेवा छोड़ने के बाद निजी क्षेत्र की ओर ही रुख करना तय है।
कुछ अधिकारियों का कहना है कि इस सेवा में अब लोग पहले की तरह रुतबा महसूस नहीं करते। जिनके हाथ बेहतर विकल्प लग जाता है, वे आगे बढ़ जाते हैं। साल दर साल आईएएस अधिकारियों के विवेकाधीन अधिकार कम होते चले गए हैं।
ये भी नौकरी छोड़ने को तैयार…
- रेणुका कुमार (1987 बैच)
- गोठलवाल (2003 बैच)
- विद्या भूषण (2008 बैच)
मैं नहीं मानता कि इस अखिल भारतीय सेवा का क्रेज कम हो रहा है। अगर ऐसा होता तो संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों की संख्या साल दर साल नहीं बढ़ती। यूपी काडर के करीब 550 आईएएस अधिकारी हैं। 4-6 के सेवा छोड़ने से कोई राय नहीं बनाई जानी चाहिए। हां, यह बात सही है कि सरकार के बाहर भी निजी क्षेत्र में ग्रोथ के काफी अवसर हैं। गिने-चुने लोग उस तरफ भी बढ़ रहे हैं। इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
– आरके तिवारी, अध्यक्ष, आईएएस एसोसिएशन, यूपी