चीन और नेपाल ने छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों में चीन ने अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का खासकर जिक्र किया है। समझौते के पांचवें बिंदु के मुताबिक, दोनों देशों की सरकारें बीआरआई समेत एक-दूसरे को प्राथमिकता, आपसी लाभ और प्रतिबद्धता को बढ़ावा देंगी। बीआरआई की प्रमुख परियोजनाचीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) है। भारत लंबे समय से सीपीईसी का विरोध कर रहा है।
भारत 26 अप्रैल, 2019 को बीआरआई की सीपीईसी परियोजना के मुद्दे पर फोरम की बैठक का बहिष्कार कर चुका है। दरअसल, 60 अरब डॉलर से तैयार होने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरेगा।
चीन की संसद के प्रमुख ली झांशु ने मंगलवार को नेपाल के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है। झांशु ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की है। ली-ओली वार्ता में अश्ट लक्ष्मी शाक्य, सुभाष नेमवांग और राजन भट्टाराई भी मौजूद रहे। प्रचंड के साथ कृष्ण बहादुर महारा, देव गुरुंग भी मौजूद थे। ली और नेपाल के स्पीकर सपकोटा में अंतर-संसदीय सहयोग पर एमओयू भी साइन किया गया।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की अक्टूबर में होने वाली 20वीं कांग्रेस और नेपाल में नवंबर में होने वाले आम और प्रादेशिक चुनाव से पहले ली झानसू सोमवार को नेपाल के आधिकारिक दौरे पर पहुंचे थे। मार्च में चीन के विदेश मंत्री वांग यी नेपाल की यात्रा कर चुके हैं। नेपाल के विदेश मंत्री ने भी मार्च में चीन का दौरा किया था।
चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन ली झानसू ने आधिकारिक दौरे के दौरान नेपाल की संसद के साथ छह सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किेए हैं। नेपाल की ओर से प्रतिनिधि सभा के स्पीकर अग्नि प्रसाद सपकोटा ने इस पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के लिए संघीय संसद भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे को विधायी, पर्यवेक्षी और शासन प्रथाओं की जानकारी देंगे। चीन ने अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) को इस समझौते में प्राथमिकता दी है।