गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालक संबंधित प्रारूप में अपने मदरसे की खुद ही पूरी जानकारी दे सकेंगे। मदरसों का सर्वे कर रहीं टीमें बाद में इसका भौतिक सत्यापन करेंगी। सर्वे के बीच सरकार ने उन्हें यह मौका दिया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि अगर मदरसा संचालक मानक पूरे करेंगे तो उनके लिए मान्यता देना आसान होगा। हालांकि पूरे प्रदेश में टीमों का सर्वे चलता रहेगा और उन्हें निर्धारित समय में ही इसे पूरा करना होगा।
दरअसल, कई जगह इस सर्वे का विरोध भी हो रहा था। विभिन्न मुस्लिम संगठन इसकी मुखालफत कर रहे हैं। इसे देखते हुए संचालकों को भी मौका दिया गया है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे फंडिंग समेत 11 बिंदुओं के आधार पर किया जा रहा है। मदरसे इन बिंदुओं से जुड़ी पूरी सूचना भरकर जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को सौंप सकते हैं। टीमों को 15 अक्तूबर तक सर्वे पूरा करना है। डीएम को 25 अक्तूबर तक इसकी रिपोर्ट शासन को भेजनी है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लखनऊ सोन कुमार ने कहा कि मदरसा संचालक जो सूचना देंगे, जिसका भौतिक सत्यापन कराया जाएगा।
मदनी बोले- सर्वे नहीं, सरकार की नीयत पर शक
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों का सरकारी सर्वे कराए जाने पर कहा कि हमें सर्वे पर कोई शक नहीं है। हमें सरकार की नीयत पर शक है। यदि सरकार की नीयत साफ है तो वह सभी शिक्षण संस्थानों का सर्वे क्यों नहीं कराती? हमारी आपत्ति वर्तमान स्थिति में सांप्रदायिक मानसिकता को लेकर है। हमारा हमेशा से प्रयास रहा है कि हमारी धार्मिक संस्थाओं को संविधान में दिए गए अधिकारों के आधार पर चलने दिया जाए, लेकिन सांप्रदायिक लोग उन्हें तबाह करने के षड्यंत्र में लगे हुए हैं।