प्रदेश में एक और आईएएस अधिकारी जी. श्रीनिवासुलु ने अपना इस्तीफा नियुक्ति विभाग को भेज दिया है। 2005 बैच के आईएएस श्रीनिवासुलु यहां विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं। हाल ही में उन्हें वित्त विभाग से राजस्व विभाग में भेजा गया था।
इस साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांगने या इस्तीफा देने वाले वे पांचवें आईएएस अधिकारी हैं। वहीं, केंद्र से एनओसी आते ही आईएएस जूथिका पाटणकर और रेणुका कुमार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। प्रदेश के सभी संबंधित विभागों से इन दोनों के मामले में एनओसी मिल चुकी है।
जी. श्रीनिवासुलु का कार्यकाल जुलाई 2030 तक बचा है। अपने इस्तीफा का कारण उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बताई हैं। कुछ ही दिनों पहले 2008 बैच के आईएएस और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक विद्या भूषण ने वीआरएस के लिए आवेदन किया था, लेकिन न्यू पेंशन स्कीम में वीआरएस का प्रावधान नहीं है। इसलिए सरकारी सेवा से अलग होने के लिए उन्होंने त्यागपत्र भेज दिया है।
2003 बैच के आईएएस अधिकारी विकास गोठलवाल भी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं। उनकी सेवा फरवरी 2038 तक है। नियम है कि 30 साल या 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके आईएएस अधिकारी को राज्य सरकार ही वीआरएस दे सकती है। ये दोनों शर्तें पूरी न करने पर मामला केंद्र को संदर्भित किया जाता है। इसलिए नियुक्ति विभाग गोठलवाल के आवेदन को केंद्र को भेज रहा है।
आखिर प्रतिष्ठित सेवा क्यों हो रहा है मोहभंग
जी. श्रीनिवासुलु और विद्या भूषण के इस्तीफे ने सवाल पैदा कर दिए हैं कि आखिर ऐसे आईएएस अधिकारी क्यों इस्तीफा दे रहे हैं, जिनकी लंबी सेवाएं बची हुई हैं। वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का कहना है कि 2004 के बाद इस प्रतिष्ठित अखिल भारतीय सेवा में भी पेंशन की सुविधा नहीं है।
वे भविष्य के प्रति उतने आश्वस्त नहीं रहते, जितने आम तौर पर इस सेवा में अधिकारी होते थे। वर्ष 2004 से पहले सेवा में आए अधिकारी भी बेहतर विकल्प मिलते ही दूसरी ओर रुख करने में भलाई समझ रहे हैं।