मुंबई बम विस्फोट के आरोपी याकूब मेमन की कब्र को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई हुई है। इस मामले को लेकर शिवसेना ने फिर एक बार भाजपा पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के मुखपत्र सामना की संपादकीय में याकूब की कब्र को लेकर भाजपा पर तीखे तंज कसे गए हैं।
सामना ने लिखा है कि महाराष्ट्र की सत्ता छीनने के बाद लगा था कि भाजपा की आत्मा शांत होगी, लेकिन भाजपा की आत्मा मरकर उसकी जगह पिशाच ने ले ली है। इसे लेकर महाराष्ट्र की जनता के मन में तिल मात्र भी संदेह नहीं रह गया है। भारतीय जनता पार्टी के कुछ बावनकुले ने याकूब मेमन मामले में ‘बुले’ गिरी चला रखी है, वह हर तरह से निंदनीय है। मुंबई बम धमाका मामले में फांसी दिए गए आरोपी याकूब मेमन की कब्र के परिसर में लाइटें लगाई गईं। वह कब्र संगमरमर के पत्थरों से सजाई गई और उसका ठीकरा भाजपा के ‘कुले’ और ‘बुले’ ने शिवसेना पर फोड़ा। वर्तमान में महाराष्ट्र के सभी जीवनावश्यक विषय लगता है खत्म हो गए हैं। इसीलिए भाजपा ने याकूब मेमन की कब्र खोदने का कार्य हाथ में लिया है। मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना हो तो हिंदू-मुसलमान, हिजाब, हिंदुस्थान-पाकिस्तान जैसे पुराने मामलों को उठाकर समाज में तनाव निर्माण करना, यही उनके धंधे हैं। शिवसेना आज सत्ता में होती और याकूब की कब्र का मामला खोदकर किसी ने उस कब्र की मिट्टी भाजपा पर फेंकी होती तो हम वहीं उसका मुंह बंद करके जवाब पूछते। वे हमारे राजनीतिक विरोधी होंगे लेकिन उन पर ऐसे गंदे आरोप लगाना उचित नहीं है। महाराष्ट्र की कोई पार्टी बम धमाके के आरोपी और उसकी कब्र का महिमा मंडन नहीं करेगी। इसलिए मुंह बंद रखें!
सामना के अनुसार याकूब मेमन को बम विस्फोट मामले में नागपुर जेल में फांसी दी गई। असल में ऐसे आरोपियों को जेल परिसर में ही दफन कर दिया जाता है। संसद पर हुए हमले के सूत्रधार अफजल गुरु को फांसी पर लटकाया गया और तिहाड़ जेल परिसर में दफन कर दिया गया। याकूब मेमन के मामले में भी ये सारे काम नागपुर में ही किए जा सकते थे। आगे कब्र का मामला उठता ही नहीं। लेकिन तब मुख्यमंत्री हमारे देवेंद्र जी थे। उन्होंने उदार मन और दिलदारी से याकूब का शव मुंबई के उसके रिश्तेदारों को सौंप दिया। माहिम से उसकी बड़ी अंतिम यात्रा निकली। बड़ा कब्रिस्तान में उसे दफन किया गया। इसलिए मामला समाप्त हो गया था लेकिन अब फिर से वह बाहर आ गया है। असल में कब्रिस्तान की जगह पर अधिकार और स्वामित्व किसका है? उस कब्रिस्तान में कौन क्या कर रहा है, इस पर भाजपा की नजर कब से पड़ी? न उस जमीन की मालकियत सरकार की है, न मनपा की। फिर भी इस घटना की मिट्टी खोदकर शिवसेना, ठाकरे के खिलाफ ”बांगबाजी” की गंदी राजनीति चल रही है। कुछ दिन पहले भाजपा ने औरंगजेब की कब्र पर ऐसी ही टिप्पणी की थी, लेकिन अब वे अपनी सरकार आते ही औरंगजेब का नाम लेने को तैयार नहीं हैं।
सामना ने लिखा है कि सबसे ज्यादा किसानों की आत्महत्या महाराष्ट्र में हो रही है। राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ का कहर जारी है। राज्य में किसान और खेत मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले साल 10 हजार 881 किसानों और खेत मजदूरों ने आत्महत्या की है और एनसीआरबी की रिपोर्ट से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि आत्महत्या के आंकड़ों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। याकूब की कब्र की राजनीतिक निवेश करने वाले कुले-बुले को उन हजारों किसानों की चिता की राख पर दो आंसू बहाने चाहिए। मुंबई दंगों और बम धमाकों से शिवसेना को सबसे बड़ा घाव लगा। तब ये ”कुले-बुले” हिंदुत्ववादी किस मांद में छिपे थे। आज याकूब के लिए छाती पीटने वाले तब किसी युद्ध में नहीं थे। शिवसेना सबके रक्षक के रूप में आगे थी। (उप) मुख्यमंत्री फडणवीस ने याकूब मेमन की कब्र पर सजावट की जांच की घोषणा की है। हम उस जांच का स्वागत करते हैं।