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स्माल सेल लंग कैंसर रोगियों के लिए जगी उम्मीद की किरण

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Prayagraj News :  डॉ. सिंटू कुमार सामंत।

कोविड से संक्रमित रह चुके ऐसे मरीज जिन्हें छोटे सेल फेफड़ों का कैंसर है, उनके लिए राहत भरी खबर है। ट्रिपलआईटी की शोध टीम ने इन मरीजों के इलाज के लिए दवाएं खोजने का दावा किया है। एप्लाइड सांइस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सिंटू कुमार सामंता और शोध में शामिल टीम के अन्य सदस्योें को प्रारंभिक स्तर पर कंप्यूटेशनल गणना में यह सफलता मिली है।

ट्रिपलआईटी की एक शोध टीम छोटे सेल फेफड़ों के कैंसर (स्माल सेल लंग कैंसर यानी एससीएलसी) के रोगियों जो कोविड -19 से संक्रमित रहे हैं, उनके इलाज के लिए दवा विकसित करने पर काम कर रही है। संस्थान के अनुप्रयुक्त विज्ञान (एप्लाइड साइंस) विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और इस परियोजना के प्रमुख डॉ. सिंटू कुमार सामंत ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान, एससीएलसी रोगियों का इलाज बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया था, क्योंकि वे कोविड से बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। 

इस स्थिति से बचने के लिए कैंसर रोगियों के लिए घरेलू उपचार की सलाह दी गई। इस पर टीम ने ऐसी दवा खोजने की कोशिश की, जोकि दोनों बीमारियों एससीएलसी और कोविड -19 के लिए कारगर हो। कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करते हुए सिलिको विश्लेषण से कुछ आशाजनक दवाओं (डेकोमिटीनिब और पैक्लीटैक्सेल) की खोज की गई।

ये दवाएं वायरस के आरएनए पोलीमरेज़ एंजाइम को रोकने में सक्षम हैं। डॉ. सामंता ने बताया कि वायरस शरीर में पहुंचता है तो शरीर में मौजूद एंजाइम की मदद से वायरस के आरएनए की संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ने लगती हैं। ये दवाएं उस एंजाइम को रोकने में सहायक हैं, जिनकी मदद से वायरस की संख्या बढ़ती है। इस अध्ययन के निष्कर्ष को जर्नल ऑफ बायोमोलेक्युलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स में प्रकाशित किया गया।

शोध टीम को उम्मीद है कि इस उपचार से कोविड से प्रभावित एससीएलसी रोगियों पर दवा का बोझ कम हो सकता है। डॉ. सिंटू कुमार ने बताया कि अब इन दवाओं को प्रयोगशाला परीक्षण की जरूरत है। इसके बाद जानवर और मनुष्यों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। शोध टीम में डॉ. पीएम शिवा प्रिया, प्रो. प्रीतीश, डॉ. अमरेश के साहू और शोध छात्र अनिरुद्ध सिंह शामिल रहे।

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