यही नहीं, निर्वाचित होने के छह महीने बाद अतुल राय ने जेल में रहते हुए 31 जनवरी 2020 को पैरोल पर लोकसभा सदस्य के रूप में सदस्यता ग्रहण की थी। कभी मुख्तार के खासमखास रहे अतुल राय के ऊपर वाराणसी समेत पूर्वांचल के अन्य जिलों के थानों में दो दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। मंडुवाडीह थाने के हिस्ट्रीशीटर में आज भी अतुल राय का नाम दर्ज है।
2000 में आए माफिया मुख्तार अंसारी के संपर्क में
वर्ष 2000 में माफिया मुख्तार अंसारी के संपर्क में आकर अतुल राय ने डीएलडब्ल्यू (अब बरेका) में ठेका, मोबाइल टॉवर में तेल सप्लाई, पीडब्ल्यूडी के ठेके सहित जमीन के धंधे में खूब हाथ आजमाया और मुख्तार का सिर पर हाथ होने के चलते उसकी जरायम जगत में गहरी पैठ भी बन गई थी। हाल यह था कि बनारस से लेकर गाजीपुर तक किसे कौन सा काम करना है, यह अतुल राय तय करता था। समय का चक्र बदला और धीरे-धीरे अतुल की महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ती गई और वह राजनीति में उतर आया। 2017 में बसपा के टिकट पर जमानिया विधानसभा का चुनाव लड़ा और हार गया। हालांकि इस चुनाव से भूमिहार नेता के रूप में उभरे अतुल राय को दो साल बाद ही बसपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में मऊ के घोसी सीट से उम्मीदवार बनाया और अतुल राय ने पहली बार में ही जीत दर्ज की।
गाजीपुर के भांवरकोल थाना अंतर्गत बीरपुर गांव निवासी अतुल राय के पिता भरत सिंह डीजल रेल इंजन कारखाना में कर्मचारी थे। इस लिहाज से अतुल राय की शिक्षा भी वाराणसी में ही हुई और वह हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज से स्नातक है। आज उसके पास युवाओं की फौज सबसे अधिक है।
लोकसभा चुनाव को लेकर जब अतुल राय ने नामांकन किया तभी बलिया की रहने वाली यूपी कॉलेज की पूर्व छात्रा ने अतुल राय पर चितईपुर स्थित फ्लैट पर ले जाकर
दुष्कर्म का आरोप लगाया। एक मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में पीड़िता ने दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस को चकमा देकर अतुल राय ने डेढ़ माह बाद 22 जून को वाराणसी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। कुछ दिन चौकाघाट जिला जेल में रहने के बाद उसे प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया गया, तब से अब तक अतुल राय सेंट्रल जेल में ही बंद है।
अब्बास को नहीं मिला टिकट, बढ़ गई मुख्तार से दूरियां
अतुल पर लगे आरोपों पर उसके परिजन और समर्थक इसे विरोधी खेमे की साजिश करार देते रहे। वहीं, जेल में रहते हुए अतुल राय ने माफिया मुख्तार अंसारी से अपनी जान को खतरा बताया था। कई बार कोर्ट और मुख्यमंत्री तक को अतुल राय ने अपनी जान की सुरक्षा को लेकर पत्र भी लिखा है। 2019 लोकसभा में घोसी सीट से मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी का टिकट काटकर अतुल राय को बसपा का टिकट मिला था। बस यहीं से दोनों में दूरियां बढ़ गई थी। मुख्तार के गुर्गे अतुल राय को परेशान करने लगे थे।
छह अगस्त को अदालत ने अतुल राय को किया बरी
विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए सियाराम चौरसिया की कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में छह अगस्त 2022 को बरी कर दिया। यूपी कॉलेज की पूर्व छात्रा की ओर से लगाए गए आरोपों पर कोर्ट ने 101 पेज के आदेश में कहा था कि पीड़िता ने जो साक्ष्य और सबूत दिए हैं और जो बात कहीं, वह विश्वसनीय नहीं है। विवेचना, परिस्थितियों और साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए सांसद अतुल को दोषमुक्त किया जाना न्यायसंगत है। हालांकि पीड़िता को आत्महत्या को उकसाने और अन्य मामले में अभी अतुल राय को कोर्ट से राहत नहीं मिली है।
भले ही तीन साल से अतुल राय जेल में बंद है लेकिन उसके टीम में युवाओं की कमी नहीं हुई है। कहा जाता है कि बनारस में सबसे अधिक युवा अतुल राय के पास है, जो उसके एक इशारे पर कुछ भी कर गुजर सकते हैं। अतुल व उसके टीम में एसयूवी और लग्जरी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नम्बर 7272 है। इससे ही अतुल राय के काफ़िले की पहचान होती है। वरुणा पार शिवपुर में अतुल राय के सबसे अधिक युवा है, जो उसका काम देखते हैं।