.नई दिल्ली. बच्चों में होने वाली बीमारी हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज (HFMD) ने चिंता बढ़ा दी है. इसका सबसे ज्यादा प्रकोप महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है जहां स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 28 अगस्त तक इसके 250 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें मुंबई ही सबसे ज्यादा प्रभावित है. यहां 249 मामले सामने आए हैं. पिछले दो सप्ताह से इस बीमारी का प्रकोप बढ़ा है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों की वास्तविक संख्या 250 से कहीं ज्यादा है. एचएफएमडी को टोमेटो फीवर भी कहा जाता है.
ज्यादातर बच्चों में होती है बीमारी
स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ प्रदीप व्यास ने कहा कि एचएफएमडी को अभी अधिसूचित नहीं किया गया है, इसलिए राज्य के पास संचित आंकड़ों की कमी है. उन्होंने कहा, “यह एक हल्की बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों में होती है. यह अपने आप ठीक होने वाली बीमारी है जिसका कोई महत्वपूर्ण लक्षण भी ज्यादा दिनों तक नहीं दिखता. इसलिए लोगों को इसके बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. ” पिछले साल के मुकाबले निजी अस्पताल में इस बार एचएफएमडी के मामलों में दो गुना की वृद्धि हुई है.
स्कूल खुलने के बाद बढ़े मामले
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक नानावटी अस्पताल मुंबई में चाइल्ड हेल्थ यूनिट के हेड डॉ तुषार मनियार ने बताया, “हर दिन हमारे HFMD के 8 से10 मरीज आते हैं लेकिन ज्यादातर को अस्पताल आने की जरूरत नहीं है. सामान्य दवा से इसका इलाज घर पर ही किया जा सकता है.” उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से स्कूल बंद रहे हैं, इसलिए तेजी से संक्रमण फैलाने वाली बीमारी होने के बावजूद एचएफएमडी के फैलने की आशंका कम है. इस साल स्कूल खुल गए हैं इसलिए मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. इसके अलावा इसके स्ट्रेन में भी बदलाव हुआ है.
क्या है टोमेटो फीवर
टोमेटो फीवर को एचएफएमडी (हैंड फुट माउथ डिजीज) कहा जाता है. यह बीमारी भी वायरस से फैलती है. इसके लिए कॉक्ससेकीवायरस (coxsackievirus) जिम्मेदार है. आमतौर पर कॉक्ससेकीवायरस ए-16 हैंड, फूट एंड माउथ डिजीज के लिए जिम्मेदार है. इसे हैंड, फूट एंड माउथ डिजीज इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि मुंह, हाथ और पैर को प्रभावित करती है.
बीमारी से कैसे बचा जाए
सामान्यतया यह बीमारी ज्यादा खतरनाक नहीं है. 7 से 10 दिनों के अंदर संक्रमण अपने आप सही हो जाता है. लेकिन कुछ एहतियात बरत कर आप अपने बच्चे को इस बीमारी से बचा सकते हैं. जैसे कि बच्चों के हाथ को कई बार धोते रहें. बच्चों की हाईजीन का खयाल रखें और घर को नियमित तौर पर सेनिटाइज करें. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो उसके संपर्क में बच्चों को न आने दें. खट्टे फल, फ्रूट ड्रिंक और सोडा से बच्चों को दूर करें.