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पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना सामान्य नहीं, उत्साह बनाए रखने की जरूरत : प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रगति सामान्य नहीं है और हमें इस उत्साह को बनाए रखने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी आज वर्चुअल माध्यम से गुजरात के सूरत में ओलपाड में विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने कोविड-19 के दौरान सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम को लागू करने के हमारे प्रयासों की सराहना की है और जिस तरह से इसने हमें आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। जीडीपी के बढ़ते आंकड़े और यूके को पछाड़ना हमारे निरंतर विकास के स्पष्ट उदाहरण हैं।

केंद्र और राज्य में भाजपा की डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के करोड़ों छोटे किसानों का कदम-कदम पर साथ देना सरकार की प्राथमिकता है। पीएम किसान सम्मान निधि ऐसा ही एक प्रयास है। इस योजना के तहत अब तक देशभर के किसानों के बैंक खातों में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर किए जा चुके हैं।

पिछली सरकारों पर किसानों की उपेक्षा को लेकर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों में किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं होती थीं, लेकिन किसानों के खाते में कुछ पहुंचता नहीं था। लेकिन डबल इंजन की सरकार, किसानों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए काम कर रही है। इसी सच्ची नीयत के कारण ही देश का, गुजरात का किसान बार-बार हमें आशीर्वाद दे रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में पूरे भारत में गरीबों के लिए तीन करोड़ घर बनाए गए और इनमें से 10 लाख घर अकेले गुजरात में बने हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड ने प्रवासी श्रमिकों को सबसे अधिक लाभान्वित किया है क्योंकि यह देश के किसी भी हिस्से में लाभार्थी को राशन वितरण की सुविधा प्रदान करता है। राज्य सरकार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि विशेष मेगा मेडिकल कैंप सेवा के माध्यम से लोगों को जोड़ने का एक तरीका है।

उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर भविष्य का मार्ग बनाता है। इसी सोच के साथ बीते वर्षों में हमने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ जन-जागरूकता पर, बीमारियों से बचाव पर, बीमारियों को गंभीर होने से रोकने पर विशेष बल दिया है। आज पूरे गुजरात में मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों का सशक्त नेटवर्क तैयार हुआ है। पिछले दो दशकों में मेडिकल कॉलेज 11 से बढ़कर 31 हो चुके हैं। एम्स भी बन रहा है और कई मेडिकल कॉलेज प्रस्तावित हैं।

उन्होंने कहा कि गुलामी के समय में सूरत देश के उन पहले स्थानों में था जहां नमक कानून का विरोध हुआ था। सेवाभाव क्या होता है, सूरत के लोग बखूबी समझते हैं।

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