श्रीराम जन्मभूमि में राममंदिर निर्माण का अब तक 40 फीसदी काम पूरा हो चुका है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंगलवार को एक बार फिर सोशल मीडिया पर मंदिर निर्माण के लिए चल रहे कार्यों के चित्र जारी किए। यह चित्र भक्तों को आह्लादित करने वाले रहे, गुलाबी पत्थरों से सज रहे गर्भगृह की भव्यता देखते ही बन रही है। राममंदिर के निर्माण में करीब 300 कारीगर व इंजीनियर दो शिफ्टों में जुटे हैं। विशेषज्ञों की निगरानी में मंदिर निर्माण का काम चरणबद्ध ढंग से चल रहा है। मंदिर के फर्श (प्लिंथ) का काम पूरा हो चुका है। अब गर्भगृह को आकार देने में कारीगर जुटे हुए हैं। गर्भगृह में अब तक वंशीपहाड़पुर के 400 गुलाबी पत्थर बिछाए जा चुके हैं। इन शिलाओं पर की गई नक्काशी मंदिर के गर्भगृह की भव्यता बता रही है। यही नहीं बहुत जल्द ही राममंदिर के स्तंभों को भी जोड़ने का काम शुरू होने जा रहा है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दिसंबर 2023 तक गर्भगृह तैयार करने का लक्ष्य बनाया है। गर्भगृह में रामलला की स्थापना खरमास के बाद जनवरी 2024 में होगी। गर्भगृह में रामलला की स्थापना होते ही भक्तों को दर्शन भी प्राप्त होने लगेगा।
आपको बता दें कि सात लेयर में बनने वाली प्लिंथ का काम लगभग पूरा हो गया है। 21 फीट ऊंची छह लेयर पूरी हो चुकी है। सातवीं लेयर वंशी पहाड़पुर के पत्थरों के साथ बिछायी जा रही है।
अब स्तंभों को जोड़ने का काम प्रारंभ करने की तैयारी है। ट्रस्ट ने दिसंबर 2023 तक गर्भगृह का निर्माण कार्य पूरा कर लेने का लक्ष्य बनाया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि गर्भगृह में अब तक 400 पत्थर बिछाए जा चुके हैं।
गर्भगृह की महापीठ बनकर तैयार है। गूढ़ मंडप का काम भी अंतिम चरण में पहुंच गया है। अब नृत्य मंडप को आकार देने का काम शुरू होगा। मुख्य मंदिर की दीवारें, स्तंभ आदि को ड्राइंग के अनुसार जोड़ा जाएगा।
स्तंभों को जोड़ने का काम भी टुकड़ों में किया जाएगा। हर स्तंभों पर नक्काशी भी होनी है, ऐसे में उन्हें जोड़ने में पूरी सावधानी बरती जाएगी। इसको लेकर मंदिर के आर्किटेक्ट और इंजीनियरिंग टीम योजना बनाने में जुटे हैं।
उधर दो लेयर मंदिर की रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। रिटेनिंग वॉल दो लेयर में बननी है, छह मीटर की पहली लेयर बन चुकी है जबकि दूसरे लेयर का काम शुरू हो चुका है। कहा कि मंदिर निर्माण का काम तय समय सीमा के अनुसार ही चल रहा है।
दिसंबर 2023 तक गर्भगृह का निर्माण पूरा कर लेने का लक्ष्य है। जनवरी 2024 से भक्तों के लिए दर्शन भी शुरू हो जाएगा। राममंदिर के भूतल में करीब पौने दो लाख पत्थर लगेंगे। इसमें से अब तक करीब 50 हजार घनफुट पत्थर तैयार हैं। बाकी के पत्थर तीन कार्यशालाओं में तराशे जा रहे हैं।
राजस्थान से पत्थर तराश कर लाए जा रहे हैं। अयोध्या की रामसेवकपुरम स्थित कार्यशाला में गर्भगृह की बीम आदि के पत्थरों की तराशी तेजी से की जा रही है।
राममंदिर निर्माण का कार्य आरंभ 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन कर किया था। सबसे पहले मंदिर की 50 फीट गहरी नींव तैयार की गई। नींव के ऊपर रॉफ्ट की ढलाई की गई। रॉफ्ट के ऊपर प्लिंथ ढालने का काम जनवरी माह में शुरू हुआ था।
राममंदिर सदियों तक अक्षुण्ण रहे इसलिए राममंदिर के नींव निर्माण में भारत की आठ नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली गई है। मंदिर की प्लिंथ के काम को पूरा करने में सात माह का समय लगा है।
राममंदिर निर्माण का काम अपेक्षित गति से चल रहा है। मंदिर की मजबूती पर विशेष ध्यान है। भव्यता में भी यह देश के चुनिंदा मंदिरों में से एक होगा। जनवरी 2024 से गर्भगृह में भक्तों को रामलला के दर्शन होने लगेंगे।-चंपत राय, सचिव, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट