सुप्रीम कोर्ट ने 40 साल पुराने सतलज-यमुना लिंक नहर के जल समझौते का अब तक पालन न होने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को अपनी तरफ वाले नहर के हिस्से को पूरा न करने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो इस मसले पर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करे। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर, 2016 को फैसला सुनाते हुए कहा था कि पंजाब जल बंटवारे पर एकतरफा संधि निरस्त नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निर्माण कार्य जारी रहेगा। एसवाईएल नहर से जल बंटवारे के विवाद पर 2004 में राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई सलाह पर संविधान पीठ के पांचों जजों ने कहा था कि पंजाब हरियाणा से एकतरफा जल बंटवारे पर एकतरफा संधि निरस्त नहीं कर सकता। पंजाब विधानसभा में लाये गए संधि निरस्त प्रस्ताव को भी सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी करार दिया था।