भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष 11 सितंबर से आरम्भ होगा। 11 सितम्बर से पितृ लोक पृथ्वी पर आयेंगे और 15 दिनों तक पृथ्वी पर निवास करेंगे। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से हम लोग समस्त तीज त्योहार मनाते हैं तथा समस्त देवताओं को नमन करते हैं, ठीक उसी प्रकार से पितृ पक्ष में अपने पितरों का आवाहन उनकी मृत्यु तिथि में किया जाता है।
मिश्रपुरी के मुताबिक हमारे ग्रंथों में देवता की पूजा से भी ज्यादा पितृ शांति, पितृ ऋण इत्यादि का वर्णन है। कहा जाता है कि देव कार्य से पहले पितृ कार्य किया जाता है। देव कार्य में तो किसी भी प्रकार के ब्राह्मण को निमंत्रण दिया जा सकता है, परंतु पितृ कार्य में केवल विशेष ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। इससे पितृ पक्ष की उपयोगिता का पता चलता है। उन्हाेंने बताया कि वर्ष में 15 दिन पितृ पक्ष के होते हैं, जिन्हें कनागत या श्राद्ध कहा जाता है। कनागत इसलिए क्योंकि इन दिनों में सूर्य कन्या राशि गत होती है या कन्या राशि में होते है। श्रध्दा से इस कर्म को करने के कारण इन दिनों को श्राद्ध कहा जाता है।
मिश्रपुरी के मुताबिक श्राद्ध आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में होते है। इस बार पहला श्राद्ध 10 सितंबर को होगा। इसे पूर्णिमा का श्राद्ध कहा जायेगा। पूर्णिमा तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए पितृ इस दिन अपने-अपने परिवार में अपना हिस्सा लेने आयेंगे। इसी दिन प्रतिपदा का भी श्राद्ध होगा।11 सिम्बर को द्वितीया का, 12को तृतीया का, 13 को चतुर्थी का, 14 को पंचमी का, 15 को छठा, 16को सप्तमी, अष्टमी का 17 व 18 को दो दिन श्राद्ध होगा। नवमी का 19 को, दशमी का 20 को, एकादशी का 21 को, सन्यासियांे का द्वादशी का 22 को, 23को त्रियोदशी का, 24को चतुर्दशी का तथा विष से मरने वालो का, 25 को अमावस्या होगा। इस दिन सभी का श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन हरिद्वार में कुशा घाट, नारायणी शीला, पर पिण्डदान व श्राद्ध तर्पण का विशेष महत्व बताया गया है।