आईआईटी बीएचयू के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है। आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने मिट्टी की ऐसी गोलियां बनाई हैं जो पानी में मिलने वाले जिंक, आयन, कॉपर, निकिल जैसी भारी धातुओं को निकालने में कारगर साबित हो रही हैं। धातुओं के निकलने के बाद पानी का उपयोग सिंचाई से लेकर पीने के लिए भी किया जा सकता है।
आईआईटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रमुख शोधकर्ता सहायक प्रोफेसर डॉ. विशाल मिश्रा, शोध छात्रा ज्योति सिंह और आईडीडी की छात्रा सार्वांशी स्वरूप ने मिट्टी से बनी गोलियों पर जो शोध किया, उसके सकारात्मक परिणाम आए हैं।
डॉ. विशाल मिश्रा ने बताया कि शोध में दूषित जल में दो अलग-अलग प्रकार से बनी मिट्टी की गोलियां डाली गईं। जिसमें पहली आग में तपने वाली और धूप से सूखी गोलियां रहीं। देखा गया कि आग में तपाने वाली गोली को डालने से पानी में मिलने वाली धातुएं निकल गई। पानी में मिलने वाली भारी धातुएं प्रदूषक हैं।
बताया कि अपशिष्ट जल में जहरीली भारी धातुओं जैसे कॉपर, निकिल और जिंक की उपस्थिति को हटाने की आवश्यकता होती है। जिंक पृथ्वी में 23वां सबसे प्रचुर तत्व है और अपशिष्ट जल में इसकी एकाग्रता लगातार बढ़ रही है। कॉपर ओवरडोज से ऐंठन, उल्टी और यहां तक की मौत भी हो सकती है। निकिल ओवर एक्सपोजर ऑक्सिडेटिव एंजाइम गतिविधि को रोकता है, जिससे फेफड़ों, गुर्दे को नुकसान पहुंचाता है।
ऐसे काम करेंगी गोलियां
डॉ. विशाल ने बताया कि गोलियों में बाजार में मिलने वाली विशेष प्रकार की मिट्टी बेंटोनाइट क्ले, सामने घाट में मिलने वाली मिट्टी का प्रयोग किया गया है। यह एक अलग तरह की मिट्टी है। इसे 350 डिग्री सेंटीग्रेट पर तपाया गया है। दूसरी धूप में सुखाई गई गोलियां हैं।
शोध में पाया गया कि 250 एमएल पानी में दो गोली डालने के बाद पानी में मिलने वाली भारी धातुएं निकल गईं। यह शोध टेलर एंड फ्रांसिस द्वारा ऑनलाइन प्रकाशित जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुआ है।