बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय ना सिर्फ औद्योगिक विकास की नई ऊंचाई को प्राप्त कर राष्ट्र निर्माण में नई दिशा दे रहा है, बल्कि यह स्वरोजगार के क्षेत्र में भी नई कहानी लिख रहा है।
जिसका प्रतिफल है कि बेगूसराय और आसपास के जिलों का बाजार अब सिर्फ सूरत के बने लहंगा पर ही निर्भर नहीं रह कर, प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के मंत्र को आत्मसात कर आत्मनिर्भर बन रहा है। कोरोना काल में पूरी दुनिया परेशान हुई, लाखों लोगों की नौकरी छूट गई, उद्योग-धंधे ठप हो गए।
ऐसे में प्राइवेट फैक्ट्री में मजदूरी करने वाले बेगूसराय के विजय नाम के एक युवक ने घर रह कर स्वयं आत्मनिर्भर बनते हुए लोगों को रोजगार देने के लिए जो स्वरोजगार शुरू किया, उससे अब प्रतिदिन तैयार लहंगा विभिन्न बाजारों में पहुंच रहे हैं। स्थानीय उत्पाद रहने के कारण यह एक ओर सस्ता है तो दूसरी ओर लोग अपने मनपसंद डिजाइन का लंहगा तैयार करवा रहे हैं।
अपने संसदीय क्षेत्र के चार दिवसीय दौरा के दौरान क्षेत्र भ्रमण के क्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह जब विजय द्वारा खोदावंदपुर प्रखंड क्षेत्र के मेघौल में खोले गए पारस क्रिएशन पहुंचे तो ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे लहंगा को देखकर चौंक उठे। उन्हें भी आशा नहीं थी कि महानगरों से हजार किलोमीटर दूर देहात के इस गांव में इतनी उत्कृष्ट क्वालिटी का लहंगा कारीगर नहीं, बल्कि कभी गांव के खेतों में काम करने वाली महिलाएं बना सकती है।
गिरिराज सिंह पहुंचे तो क्षेत्र भ्रमण पर, लेकिन महिलाओं की कारीगरी ने उन्हें रुकने पर मजबूर कर दिया और काफी देर बैठ कर गिरिराज सिंह लहंगा तैयार करने की कला देखी। उसे बनाने वाली महिलाओं से बात कर हौसला बढ़ाया, स्वरोजगार शुरू कर गांव में रोजगार देने वाले विजय से बात किया तथा और आगे बढ़ने के लिए हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया।
गिरिराज सिंह ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को हैरान-परेशान कर दिया। कोरोना के कारण दुनियाभर में लोगों की नौकरी छूट गई, मौत का सिलसिला चला, व्यवसाय पर आघात पहुंचा। लेकिन इन सबके बीच भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से ना केवल दुनिया में सबसे पहले कोरोना का वैक्सीन तैयार हुआ, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का भी जबरदस्त असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल को आत्मसात कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम मील का पत्थर साबित हुआ है। परेशान हजारों लोगों ने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार को नई दिशा देकर ना केवल अपने परिवार की दशा बदल दी, बल्कि बाजार की भी बाहरी आत्मनिर्भरता को कम किया है। मेघौल के इस युवक विजय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को आत्मसात किया तो ना केवल उसके परिवार, बल्कि रोजगार तलाश करने वाले आसपास की महिलाओं के लिए भी वरदान साबित हो रहा है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि मेड फॉर मेघौल लहंगा की धूम मच रही है, यह नई दिशा और दशा तय कर रहा है। मेघौल के विजय ने स्वाभिमान सम्मान के साथ स्वरोजगार का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया जा रहा है, यहां साड़ियों और अन्य कपड़ों के आकर्षक और उन्नत उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, इन्हें और मदद करने का प्रयास किया जाएगा।