केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 भारत की शिक्षा नीति को वैश्विक मानकों पर पुनर्स्थापित करेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएचडीसीसीआई शिक्षा शिखर सम्मेलन, 2022 को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर अब तक एनईपी भारत का सबसे बड़ा पथ-प्रदर्शक सुधार है क्योंकि नई शिक्षा नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उभरती जरूरतों और आवश्यकताओं के अनुरूप भी है। उन्होंने कहा कि इसमें केवल डिग्री पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है बल्कि छात्रों की आंतरिक प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और योग्यता को भी उचित प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि यह समय-समय पर युवा विद्वानों और छात्रों को उनकी व्यक्तिगत योग्यता तथा परिस्थितियों के अनुसार अपने विकल्पों का निर्धारण करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एनईपी-2020 के गुणों पर चर्चा करते हुए कहा कि मल्टीपल एंट्री/एग्जिट विकल्पों के प्रावधान का पोषण किया जाना चाहिए क्योंकि इस अकादमिक लचीलेपन द्वारा छात्रों को अलग-अलग समय में अपने कैरियर के विभिन्न अवसरों का लाभ उठाने में सकारात्मक रूप से मदद मिलेगी, जो उनके द्वारा समय-समय पर प्राप्त आंतरिक शिक्षा और अंतर्निहित योग्यता पर निर्भर करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में शिक्षकों के लिए भी इस एंट्री/एग्जिट विकल्प की व्यवहार्यता अथवा उपयुक्तता पर विचार किया जा सकता है, जिससे उन्हें भी अपने कैरियर में लचीलापन मिल सके और विकास का अवसर प्राप्त हो सके जैसा कि कुछ पश्चिमी देशों और अमरीका में प्रचलित है। उन्होंने कहा कि यह नीति रचनात्मक और बहु-विषयक पाठ्यक्रम पर बल देती है, जिसमें विज्ञान एवं गणित के अलावा मानविकी, भाषा, संस्कृति, खेल और तंदरूस्ती, स्वास्थ्य एवं कल्याण, कला और शिल्प शामिल हैं। यह स्वामी विवेकानंद की मानव-निर्माण शिक्षा, श्री अरबिंदो की एकात्म शिक्षा और महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा के वास्तविक सार को चित्रित करती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज लगभग 4 करोड़ भारतीय उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जो अमरीका और यूरोपीय संघ के संयुक्त आंकड़े से भी ज्यादा है और महत्वाकांक्षी नई शिक्षा नीति का लक्ष्य इस संख्या को दोगुना करना है। उन्होंने कहा कि वैसे तो यह एक बड़ा लक्ष्य है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि इसे प्राप्त किया जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने पिछली विसंगतियों को भी ठीक किया है और बताया गया है कि पिछली शिक्षा नीति में सबसे बड़ी विसंगति शब्दावली रही है क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय अपने आप में एक असंगत नाम था जो अन्य शब्दार्थों को गलत रूप से प्रस्तुत करना था। उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कर दिया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) द्वारा प्रतिपादित सबसे सराहनीय अवसरों में से एक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए अपने पाठ्यक्रमों में उद्यमिता को शामिल करने का अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि अगर इसे सार्थक रूप से दिया जाता है, तो यह बहुत ही कम समय में देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने की क्षमता रखता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) की भारत की वैश्विक रैंकिंग वर्ष 2015 में 81वें स्थान पर थी जिसमें सुधार होकर वह 2021 में 46वें स्थान पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि जीआईआई के संदर्भ में भारत 34 निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर और 10 मध्य और दक्षिणी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि जीआईआई रैंकिंग में निरंतर सुधार आने का कारण ज्ञान का अपार भंडार, जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक एवं निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए कुछ उत्कृष्ट कार्य हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत द्वारा नवीनतम प्रौद्योगिकियों का अधिग्रहण, विकास और विस्तार करने पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, जिसे सभी क्षेत्रों में ड्रोन, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक-चेन और अन्य अभिनव प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग द्वारा भली-भांति समझा जा सकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि नए भारत में विज्ञान जैसे संभावित समृद्ध क्षेत्रों में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इच्छुक है, जहां पर वैज्ञानिक संस्थानों को अब आधुनिक मंदिरों के रूप में देखा जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहते हुए अपने वक्तव्यों को समाप्त किया कि एनईपी की शुरूआत एक बहु-विषयक दृष्टिकोण आपनाकर भारत की शिक्षा प्रणाली का रूपांतरण करने के लिए की गई थी। शिक्षा मंत्रालय की एक आंतरिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, 29 जुलाई, 2022 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के दो वर्ष पूरे होने के साथ, अबतक 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में 2,774 अभिनव परिषदों की स्थापना की जा चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में 2,000 संस्थानों को कौशल हब के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है और इनमें से 700 संस्थान कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा चुके हैं।