प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को आईएसी विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल करने के साथ आज नौसेना के नए ध्वज का अनावरण करके औपनिवेशिक काल की गुलाम मानसिकता के प्रतीक से छुटकारा भी दिलाया। नौसेना का नया निशान (ध्वज) औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के अधिकतर देशों ने अब अपने नौसेना के निशान को बदल दिया है। इसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका देश शामिल हैं। इन सभी देशों के ध्वज पर पहले ब्रिटिश झंडा लगा रहता था।
क्या किया गया बदलावः
दरअसल, किसी भी देश की नौसेना का एक ध्वज होता है जो युद्धपोतों, ग्राउंड स्टेशनों और हवाई अड्डों सहित सभी नौसैनिक प्रतिष्ठानों के ऊपर फहराया जाता है। भारतीय नौसेना का भी अपना निशान या ध्वज है जिसमें अब तक सफेद रंग के आधार पर लाल रंग का क्रॉस बना हुआ था जो सेंट जॉर्ज का प्रतीक है। ध्वज के ऊपरी कोने में तिरंगा और साथ ही क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना हुआ है। भारतीय नौसेना के इतिहास को देखा जाए तो 2 अक्टूबर 1934 को नेवल सर्विस को रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया। देश का विभाजन होने के बाद जब भारत और पाकिस्तान की अलग-अलग सेनाएं बनीं तो नौसेना रॉयल इंडियन नेवी और रॉयल पाकिस्तान नेवी के रूप में बंट गई। इसके बाद 26 जनवरी, 1950 को इंडियन नेवी में से रॉयल शब्द को हटा लिया गया और उसे भारतीय नौसेना नाम दिया गया।
आजादी के पहले तक नौसेना के ध्वज में ऊपरी कोने में लगा ब्रिटिश झंडा हटाकर उसकी जगह तिरंगे को जगह दी गई। औपनिवेशिक काल के बाद अन्य पूर्व-औपनिवेशिक नौसेनाओं ने अपने नए झंडे में रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया, लेकिन भारतीय नौसेना ने इसे 2001 तक बरकरार रखा। इसके बाद अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय 2001 में फिर एक बार ध्वज में बदलाव किया गया। इस बार सफेद झंडे के बीच में जॉर्ज क्रॉस को हटाकर नौसेना के लोगो को जगह दी गई और ऊपरी बाएं कोने पर तिरंगे को बरकरार रखा गया। इसके बाद 2004 में तीसरी बार ध्वज या निशान में फिर से बदलाव करके रेड जॉर्ज क्रॉस को शामिल कर लिया गया। नए बदलाव में लाल जॉर्ज क्रॉस के बीच में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को शामिल किया गया। इसके बाद चौथी बार 2014 में एक और बदलाव कर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया।