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राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (एनएसएस) के 76वें और 77वें दौर के अंतर्गत आने वाले विषयों पर 17वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी

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राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (एनएसएस) के 76वें और 77वें दौर के दौरान शामिल विषयों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि कोच्चि यूनीवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी (सीयूएसएटी) के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.एन. मधुसूदन ने आज विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में किया। उद्घाटन सत्र में सम्मानित अतिथि सीयूएसएटी के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर (डॉ.) पी.जी.शंकरन, एमओएसपीआई के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) में एडीजी, एमओएसपीआई के अपर सचिव, स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, कार्य समूह के सदस्य, शैक्षणिक समुदाय के प्रतिनिधियों, शोधकर्ताओं और मीडिया के प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया।

उद्घाटन भाषण देते हुए, मुख्य अतिथि, कोच्चि यूनीवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी के कुलपति ने महसूस किया कि मंत्रालय द्वारा संगोष्ठी के स्थान का चयन सीयूएसएटी द्वारा सांख्यिकी सहित अध्‍यापन/अनुसंधान के क्षेत्र में किए गए कार्यों की मान्यता/स्वीकृति है। उन्‍होंने कोच्चि यूनीवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी में 17वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी करने का अवसर देने के लिए मंत्रालय का आभार व्‍यक्‍त किया। अपने संबोधन में उन्होंने शैक्षणिक समुदाय के बीच डेटा समर्थित अनुसंधान के पूरे ज्ञान की बढ़ती आवश्यकता पर जोर दिया और देश में डेटा तैयार करने वाली विभिन्न एजेंसियों के साथ मजबूत सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने एनएसओ, एमओएसपीआई द्वारा लाई गई विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्टों की सराहना की और स्वीकार किया कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (एनएसएस) रिपोर्ट देश में डेटा संचालित ज्ञान की रीढ़ हैं।

एनएसओ (एससीडी) के अपर महानिदेशक ने अतिथियों का स्वागत किया और संगोष्ठी में भाग लेने और समय निकालने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस दो दिवसीय संगोष्ठी में होने वाला विचार-विमर्श भविष्य में सर्वेक्षण की योजना बनाने के लिए ज्ञान के भंडार का एक बड़ा स्रोत होगा।

सीयूएसएटी के प्रो-वाइस चांसलर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि एनएसएस भारत में एक घरेलू नाम है, खासकर जब शैक्षणिक दुनिया में स्वतंत्र शोध की बात आती है।

एनएसओ (एसडीआरडी), एमओएसपीआई के अपर महानिदेशक ने आयोजनकर्ताओं की टीम के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि इन दो दौर के परिणाम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और शोधकर्ता विद्वानों के लिए अत्यंत सार्थक हैं।

एनएसओ (एफओडी), एमओएसपीआई के अपर महानिदेशक ने महसूस किया कि यह संवादात्मक मंच आत्मनिरीक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इनका उपयोग करके क्षेत्र में डेटा संग्रह के तरीके में आवश्यक सुधार करता है। उन्‍होंने शैक्षणिक समुदाय, अनुसंधानकर्ताओं और मंत्रालय के बीच सहयोग का समर्थन किया।

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