पानी का संकट क्या होता है कोई राजस्थान से पूछे। यहां मीलों दूर तक महिलाओं को सिर पर पानी का मटका लेकर सफर करना पड़ता है, तो कहीं वॉटर ट्रेन से आने वाले पानी से हलक तर होते हैं तो कहीं टैंकरों के पानी से प्यास बुझती है। इस साल भी अप्रैल से जुलाई तक के तीन महीनों में राजस्थान को बड़े पानी के संकट से गुजरना पड़ा। पाली में वाॅटर ट्रेन चली तो कई शहरों में पानी की सप्लाई चार से पांच दिन में एक बार कर दी गई, लेकिन इस बार के मानसून ने अब अगले दो साल की चिंता खत्म कर दी है।
जून में आया मानसून इस बार खूब मेहरबान रहा। इस बार पूरे महीने में प्रदेश के करीब 193 बांध ओवरफ्लो हो गए हैं। अगस्त में बारिश औसतन कम हुई, लेकिन बांध जुलाई के मुकाबले दो गुना ज्यादा भरे है। यही कारण रहा कि इस बार चंबल, कालीसिंध, माही, बनास, जाखम नदियां उफान मारकर बहने लगीं। इन पर बने कुछ बांधों के गेट पिछले 15 दिन से खुले हैं। मौसम केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में एक से तीस अगस्त तक औसतन 215 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि जुलाई के 31 दिन में 266 मिलीमीटर औसत बरसात हुई थी। जुलाई में हुई बारिश से पूरे राज्य में छोटे-बड़े 80 बांध छलके थे, जबकि अगस्त में 193 बांध ओवरफ्लो हुए। अगस्त में भी आखिरी 10 दिन (21 से 30 अगस्त तक) 78 बांध फुल हुए। प्रदेश में सबसे ज्यादा बरसात 2016 में हुई थी, उस समय 31 दिन में औसतन 277.7 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इसके अलावा 2011, 2012 और 2019 व 2020 में भी 200 मिलीमीटर से ज्यादा औसत बरसात अगस्त में हुई है।
राजस्थान में इस बार अच्छी बारिश से प्रदेश के बांधों में पानी की अच्छी आवक हुई है। जयपुर, अजमेर, पाली, टोंक जिलों के कई गांव और शहरों की सवा करोड़ से ज्यादा की आबादी के लिए अगले दो साल तक के पीने के पानी का इंतजाम हो गया है। बीसलपुर बांध ओवरफ्लो होकर बहने लगा है, जबकि पाली का जवाई बांध 72 फीसदी भर गया है। इन दो बांधों में अब भी लगातार पानी आ रहा है। इस बार बीसलपुर बांध के गेट अगस्त में खोले गए। 26 अगस्त को बांध के दो गेट खोलकर पानी छोड़ना शुरू किया गया और इसे बीच में बढ़ाकर चार गेट कर दिया था।
इसके अलावा कोटा बैराज, कालीसिंध और सोम कमला अम्बा बांध के गेट भी पिछले 15 दिनों से लगातार खुले है, जिनसे पानी छोड़ा जा रहा है। बीसलपुर बांध से गुरुवार को लगातार सातवें दिन पानी की निकासी जारी है। बांध का एक गेट खोलकर 3000 क्यूसेक पानी प्रति सैकेंड के हिसाब से छोड़ा जा रहा है। इससे पहले बीसलपुर बांध के जल ग्रहण क्षेत्र में पानी की आवक स्थिर होने के बाद भी दो गेटों से पानी की निकासी बुधवार को छठें दिन भी जारी रही। बीसलपुर बांध कंट्रोल रूम के अनुसार इस बार मानसून की अच्छी बरसात के चलते बांध लबालब होने के बाद शुक्रवार से ही पानी की निकासी की जा रही है।
बीसलपुर बांध वर्तमान में राजस्थान के करीब एक करोड़ लोगों की प्यास बुझा रहा है। बीसलपुर बांध जयपुर, अजमेर, टोंक व भीलवाड़ा की लाइफ-लाइन है। बीसलपुर बांध के बनने के बाद पहली बार 2001 में 311 आरएल मीटर का भराव हुआ। वहीं 2004, 2006, 2014, 2016 व 2019 में पूर्ण जलभराव 315.50 आरएल मीटर होने के बाद बनास नदी में पानी की निकासी करनी पड़ी है। वहीं 2010 में बांध बनने के बाद सबसे कम गेज 298.67 आरएल मीटर रहा है, जिससे बांध पूर्ण रूप से सूखने के कगार पर पहुंच गया था।
राजस्थान में इस साल मानसून खूब मेहरबान रहा है। रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है। तीन महीने में इतनी बारिश बरसी कि पिछले 77 साल में बने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। एक जून से 31 अगस्त तक प्रदेश में 539.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। इससे पहले 1944 में इन तीन महीनों में 611 मिलीमीटर बारिश हुई थी। 77 वर्ष बाद इन तीन महीनों में इतनी अधिक बारिश हुई है। प्रदेश के सात जिलों में अत्यधिक बारिश, 16 जिलों में सामान्य से अधिक, 10 जिलों में सामान्य बारिश हुई है। अगस्त के दौरान प्रदेश में 215 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो औसत से 38 प्रतिशत अधिक है। लगातार अच्छी बारिश के बाद अब मानसून ने ब्रेक लिया है। पिछले कुछ दिनों से बारिश नहीं हो रही है, जिन जिलों में हुई है वहां भी हल्की बारिश ही हुई है। मौसम विभाग के अनुसार यह ब्रेक दस दिन तक रहने के आसार हैं। हालांकि, अभी मौसम विभाग ने इसे मानसून की विदाई नहीं बताया है।