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निर्धारित समय पर फ्लैट पर कब्जा न देने पर उपभोक्ता आयोग ने जेपी एसोसिएट्स पर लगाया 42 लाख का हर्जाना

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जुर्माना

मेरठ शहर की रहने वाली मेघा अरोड़ा ने जय प्रकाश एसोसिएट्स द्वारा नोएडा में संचालित जेपी ग्रीन्स स्पोर्ट्स सिटी में एक जनवरी 2010 को एक फ्लैट बुक कराया था।

निर्धारित समयावधि में फ्लैट पर कब्जा न देने के मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने नोएडा के जय प्रकाश एसोसिएट्स पर 42 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। साथ ही वादिनी को एक माह के भीतर फ्लैट पर कब्जा देने का आदेश दिया है।

मेरठ शहर की रहने वाली मेघा अरोड़ा ने जय प्रकाश एसोसिएट्स द्वारा नोएडा में संचालित जेपी ग्रीन्स स्पोर्ट्स सिटी में एक जनवरी 2010 को एक फ्लैट बुक कराया था। उनका दावा था कि बिल्डर ने उसका निर्माण 36 माह के भीतर करते हुए कब्जा देने की बात कही थी। मेघा के मुताबिक उन्होंने बार-बार मौके का निरीक्षण किया गया लेकिन कोई निर्माण संबंधित एसोसिएट्स ने नहीं किया। फ्लैट की कुल कीमत लगभग 35 लाख रुपये थी। बार-बार कहने के उपरांत जब उन्हें फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया गया तो मेघा ने उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद डाला।

मामला आयोग के पीठासीन सदस्य राजेन्द्र सिंह एवं विकास सक्सेना की पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुआ। जय प्रकाश एसोसिएट्स ने कहा कि परिवादिनी ने कोई फ्लैट उनके यहां बुक नहीं कराया है। राजेंद्र सिह के मुताबिक पीठ ने तमाम तथ्यों और सुबूतों पर गौर करते हुए अपना निर्णय सुनाया। राजेंद्र सिह के मुताबिक अभिलेखों से यह सिद्ध है कि जय प्रकाश एसोसिएट्स ने मेघा अरोड़ा से फ्लैट निर्माण के लिए पैसा लिया और रसीद जारी की। साथ ही यह भी पाया गया कि निर्धारित अवधि 03 साल के अंदर भवन का कब्जा परिवादिनी को न दे कर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की उपेक्षा की गई है।

ऐसे में आदेश पारित किया गया कि इस निर्णय के 30 दिन के अंदर मेघा को जेपी ग्रीन्स स्पोर्ट्स सिटी, नोएडा में संबंधित फ्लैट पर कब्जा दिया जाए। अन्यथा 30 दिन के बाद उन्हें प्रत्येक माह के विलंब के लिए एक लाख रुपये हर्जाना देना होगा।  यदि किसी कारणवश उस फ्लैट पर कब्जा नहीं दया जा सकता है तो इसी तरह की और उसी समान क्षेत्रफल वाले किसी अन्य फ्लैट पर एक किलोमीटर के क्षेत्र के अंदर ही कब्जा दिया जाए।

परिवादिनी को बतौर क्षतिपूर्ति 10 लाख, बतौर हर्जाना 1,50,000 रुपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 55,000 रुपये का भुगतान भी  30 दिन के भीतर किया जाए। इसके अतिरिक्त मानसिक उत्पीड़न आदि के लिए एकमुश्त 30 लाख रुपये भी परिवादिनी को अदा किए जाएं। फ्लैट देने के बदले विपक्षी गण परिवादिनी से अब किसी प्रकार की धनराशि चाहे वह किसी भी मद की हो, वसूल नहीं करेंगे।

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