संविदा कर्मियों को नियमित करने, समान काम का समान वेतन, ठेका प्रथा पर रोक, सेवाकाल में मृत कर्मचारियों के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी, पहचान पत्र निर्गत करने, ईपीएफ – ईएसआई का लाभ, नियमित कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों की तरह सेवांत लाभ, पेंशन देने आदि मांगों की पूर्ति के लिए बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ (सम्बद्ध – ऐक्टू) और बिहार लोकल बॉडीज संयुक्त कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के राज्यव्यापी आह्वान पर 27 अगस्त से शुरु अनिश्चितकालीन हड़ताल आज बुधवार को भी जारी रहा।
ऐक्टू की ओर से सफाई और जलापूर्ति कर्मियों की मांगों और हड़ताल का समर्थन करते हुए राज्य सह जिला सचिव मुकेश मुक्त ने हड़ताल के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि शहरी निकायों में 10 – 15 वर्षों से दैनिक/संविदा पर सफाई औल जलापूर्ति कर्मचारी कार्यरत हैं। जिन्हें नियमानुसार 240 दिनों की सेवा के बाद नियमित कर दिया जाना चाहिए था। किंतु सरकार ने उन्हें नियमित तो किया नहीं बल्कि उनकी सेवा समाप्त कर आउटसोर्स में काम करने के लिए धकेल दिया। फलस्वरूप यह वर्ग काफी आक्रोशित है। ये वैसे कर्मचारी हैं जो नारकीय शहर की सफाई और जनता को पानी देते हैं। यही नहीं कोरोना महामारी जैसे वक्त में अपनी जान जोखिम में डालकर सफाई और जलापूर्ति का काम करते हुए फ्रंटवर्कर के रुप में देखे गए। जिसमें अनेकों कर्मियों की जान चली गयी। अपनी मांगों की पूर्ति हेतु निकाय कर्मी वर्षों से संघर्ष चलातेत रहें हैं। किंतु सरकार चुप्पी साधे बैठी है। उक्त मांगों की पूर्ति के लिए 13 अगस्त को पटना में मुख्यमंत्री के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया गया तब भी सरकार द्वारा कोई रिस्पॉन्स नहीं लिया गया और न तो द्विपक्षीय वार्ता के लिए सूचना दी गयी। मजबूरन 27 अगस्त 2022 से काम बन्द कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ा। मुकेश मुक्त ने कहा कि निगम कर्मियों के हड़ताल का असर भागलपुर सहित पूरे राज्य में दिखने लगा है। नगर पंचायत से लेकर नगर निगम तक कूड़ा-कचरा का अम्बार, नारकीय स्थिति और जलापूर्ति बंद होने से उत्पन्न पानी संकट के लिए सरकार जिम्मेदार है। ऐक्टू मांग करता है कि अविलम्ब द्विपक्षीय वार्ता के जरिए निकाय कर्मियों की मांगों को पूरा कर हड़ताल समाप्त कराया जाय।