छह जुलाई को डीयू ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि सेंट स्टीफंस कॉलेज को भी कॉमन युनिवर्सिटी एंट्रेट टेस्ट (सीयूईटी) के तहत ही दाखिले की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार करना होगा। डीयू ने हलफनामा में कहा है कि ये निर्विवाद कानून है कि अनुदान प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थान अनारक्षित सीटों पर अपनी मर्जी से छात्रों का दाखिला नहीं कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में सेंट स्टीफंस और डीयू के विवाद को लेकर दो याचिकाएं दायर की गई हैं। एक याचिका सेंट स्टीफंस कॉलेज ने दायर की है और दूसरी याचिका मोनिका पोद्दार नामक एक लॉ स्टूडेंट ने दायर की है। सेंट स्टीफंस कॉलेज की याचिका में डीयू के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें कॉलेज में दाखिला सीयूईटी के जरिये ही करने को कहा गया है। मोनिका पोद्दार की याचिका में डीयू और सेंट स्टीफंस कॉलेज के बीच हर साल एडमिशन को लेकर पैदा होने वाले विवाद का जिक्र किया गया है।
मोनिका की याचिका में कहा गया है कि इंटरव्यू के दौरान चयन समिति के संतोष के आधार पर मार्क्स देना भेदभावपूर्ण है। याचिका में कहा गया है कि आमतौर पर डीयू में दाखिला बारहवीं कक्षा में मिले अंकों के आधार पर होता है, लेकिन सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिले के लिए अलग से इंटरव्यू करना विभेद को जन्म देता है।