हत्या के 38 वर्ष पुराने मामले में वाराणसी ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुके आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने राज्य की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को एकतरफा मानते हुए उसे रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में पूरी तरह सक्षम रहा कि हत्या आरोपियों ने की है। साथ ही चिकित्सकीय साक्ष्य और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से आरोपों की पुष्टि हो रही है। निचली अदालत ने मामले में न्याय के बुनियादी सिद्धांतों को नजरअंदाज करते हुए आरोपियों को बरी कर दिया।
वर्ष1984 में आयोजित पंचायत में केदार नाथ और उनकी पत्नी पर फायरिंग करने तथा लाठियों से पीटने का आरोप है। घटना से केदारनाथ की मौत हो गई थी। मामले में यदुराई, हरिशंकर, रामनरेश, देवेंद्र और वीरेंद्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। लेकिन, निचली अदालत ने मामले में सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया।
इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। सरकार की ओर से अधिवक्ता विकास गोस्वामी ने बहस की। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान निचली अदालत के फैसले को गलत पाया और कहा कि आरोपियों की फायरिंग और हमले से ही केदार की मौत हुई और अन्य लोग घायल हुए। आरोपी दोषी हैं और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है। कोर्ट ने याची की जमानत निरस्त करते हुए उन्हें महीने भर के भीतर कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।