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गंगा ने पार किया खतरे का निशान, डूबे घाट-मंदिर और श्मशान, तटवर्ती इलाकों में त्राहिमाम, देखें

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वाराणसी में खतरे के निशान के करीब पहुंची गंगा

मोक्षदायिनी गंगा का उफान रुकने का नाम नहीं ले रहा। चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर पार करने के बाद आधी रात को गंगा ने खतरे का निशान पार कर लिया। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर रात में 12 बजे 71.29 मीटर पर पहुंच गया। बनारस में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

बनारस में गंगा ने रौद्र रूप अख्तियार कर लिया है। इस कारण तटवर्ती इलाकों में त्राहिमाम की स्थिति है। जलस्तर में बढ़ाव ने आम जनता की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। काशी के सभी घाट और वहां स्थित मंदिरों के साथ ही श्मशान घाट कई दिनों से डूबा हुआ है। गंगा अब घाटों से आगे निकलकर सड़कों पर प्रवाहित होने लगी हैं जिसके कारण सड़कों और गलियों में नावें चल रही हैं।

केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार अभी बढ़ाव जारी रहेगा। बाढ़ का पानी शहर की घनी आबादी में धीरे-धीरे से प्रवेश करने लगा है। निचले इलाकों की रिहाइशी बस्तियों में बाढ़ का पानी पहले ही घुस चुका है जिसके कारण स्थितियां बेहद खराब हैं। वरुणा पार इलाके में सैकड़ों परिवार बेघर हो चुके हैं।

अस्सी घाट के पास सड़क पर आया पानी

चंबल में उफान का असर बनारस में नजर आ रहा है। शुक्रवार रात नौ बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से छह सेंटीमीटर नीचे 71.20 सेंटीमीटर पर बह रहा था।  गंगा किनारे के पुराने इलाके भी अब बाढ़ से घिरने लगे हैं, क्योंकि पानी सड़कों और गलियों में घुस गया है। पानी से भरे मणिकर्णिका घाट की गली में जहां नावें चलती नजर आई तो दूसरी ओर अस्सी और दशाश्वमेध घाट की सड़क पर भी यही नजारा था।
सड़क पर आया बाढ़ का पानी
दशाश्वमेध से शीतला मंदिर घाट की ओर जाने वाले रास्ते पर पानी रात को आगे बढ़ते हुए अहिल्याबाई गली की ढलान तक पहुंच चुका था जबकि दूसरी ओर जलपुलिस के बूथ डूब चुका है और सड़क के बीच तीन सीढ़ियों का फासला बचा था। पुराने अस्सी घाट जाने वाले रास्ते को आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।
वरुणा पार इलाके का नजारा

गंगा में बढ़ाव की रफ्तार को देख घाट किनारे रहने वालों की धुकधुकी बढ़ गई है, वहीं वरुणा के तेवर ने भी टेंशन बढ़ा दी है। लगातार बढ़ रही गंगा के कारण वरुणा का पलट प्रवाह अब भयावह हो चला है। खतरे के निशान के पास पहुंची गंगा घाट किनारे और कई रिहायशी कॉलोनियों को अब तक डुबो चुकी हैं।
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वाराणसी में बाढ़

खतरे के निशान के करीब पहुंची गंगा ने आम आदमी की दुश्वारियों को भी बढ़ा दिया है। किसी का स्कूल छूट गया है तो किसी का रोजगार ठप हो गया है। बाढ़ राहत शिविरों में सिर छिपाने की जगह तो मिल गई है लेकिन अपना घर छूटने का दर्द हर चेहरे पर साफ नजर आ रहा है।  ऐसे कई सारे परिवार हैं, जिनकी आजीविका बाढ़ के कारण प्रभावित हुई है।

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