बिहार में महागठबंधन की सरकार की ओर से बुधवार को बुलाये गये विधानसभा के दो दिनों के विशेष सत्र में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा ने अपने पद से इस्तीफा दिया। बुधवार को सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद आसन पर बैठे विजय कुमार सिन्हा ने अपनी बात रखने के बाद विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की।
विजय सिन्हा ने कहा कि उन्हें बहुमत से सदन का अध्यक्ष चुना गया था, वर्तमान राजनीतिक हालात में बहुमत मेरे पक्ष में नहीं है इसलिए पद का त्याग करता हूं। मेरे खिलाफ कुछ विधायक अविश्वास प्रस्ताव लाये हैं, इसलिए बहुमत के आधार पर मेरा पद पर बने रहना उचित नहीं होगा।
विजय सिन्हा ने कहा कि मैंने हमेशा से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तालमेल बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि नई सरकार बनते ही मैं इस्तीफा दे देता लेकिन मुझे लगा कि बिना अपना पक्ष रखे हुए पद का त्याग करना सही नहीं है। मेरे खिलाफ लगाया गया मनमानी और तानाशाही का आरोप बिल्कुल निराधार है। विजय सिन्हा ने कहा कि अपने छोटे से कार्यकाल में कई उपलब्धियां देखी। प्रधानमंत्री का पहली बार में बिहार विधानसभा में आना और सदन को संबोधित करना काफी प्रेरणादायक रहा। मुख्यमंत्री और वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री का सदन में पूरा सहयोग मिला जो किसी से छुपा नहीं है।
उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव में 9 में से 8 सदस्यों का अविश्वास प्रस्ताव नियम के मुताबिक नहीं था। सदन में अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि निष्पक्ष होकर सदन का संचालन किया। उन्होंने आखिर में जदयू विधायक नरेंद्र नारायण यादव को आसन संभालने की जिम्मेदारी दी क्योंकि वो सबसे सीनियर सदस्य है और सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। विजय सिन्हा के इस निर्णय को संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने अनुचित बताया और कहा कि चूंकि सदन के उपाध्यक्ष के रूप में महेश्वर हजारी है इसलिए उनका ये निर्णय अनुचित है।