योगी सरकार में कैबिनेटमंत्री राकेश सचान मंगलवार को एमपी-एमएलए न्यायालय में पेश हुए। 31 वर्ष पुराने एक मामले में उनकी यह पेशी हुई है। इस मामले में सोमवार को विशेष न्यायालय में बचाव पक्ष ने अपील और जमानत पर बात रखी, जिस पर अभियोजन ने आरोपित के बगैर उपस्थिति जमानत पर विचार न करने की अपील की गई थी। इस पर न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया था।
सोमवार को हुई थी पेशी
विशेष न्यायालय एमपी-एमएलए न्यायालय में मंत्री राकेश सचान की अपील पर सोमवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में बहस शुरू हुई थी। बचाव पक्ष की ओर से बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी, अधिवक्ता गिरीश नारायण दुबे, रामेंद्र सिंह कटियार और कपिल दीप सचान के प्रार्थना पत्र में दिए गए बिंदुओं के आधार पर अपील स्वीकृत करने की बात कही थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने सीआरपीसी की धारा 389 का हवाला देते हुए कहा कि अपील का निर्णय होने तक निचली अदालत से दी गई सजा और जुर्माने को निलंबित रखा जाए। साथी ही पूर्व बंधपत्रों (सिक्योरिटी) पर जमानत स्वीकृत किए जाने की बात कही थी।
जब तक मंत्री न हो उपस्थिति, जमानत पर न किया जाये विचार
अभियोजन की ओर से भी डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी और एडीजीसी भाष्कर मिश्रा ने पहले तो समय मांगा। इसके बाद उन्होंने अपील की नकल (प्रतियां) मांगी। अदालत के आदेश पर अभियोजन को नकलें प्रदान की गईं। अभियोजन की ओर से मंत्री की जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा गया है कि जब तक वह उपस्थित न हों जमानत पर विचार न किया जाए। इसके बाद बचाव पक्ष की ओर से प्रार्थना पत्र देते हुए मंगलवार तक का समय मांगा गया। मंगलवार को कोर्ट में बहस के दौरान मंत्री राकेश सचान भी पहुंच गए हैं।
यह है पुराना मामला
यह मामला करीब 31 वर्ष पुराना है। दूसरे की लाइसेंसी रायफल को रखने के मामले में पुलिस ने मंत्री राकेश सचान के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस प्रकरण में आठ अगस्त को अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट आलोक यादव ने मंत्री को दोषी करार देते हुए एक वर्ष की कारावास एवं पन्द्रह सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। न्यायालय ने मंत्री को अपील के लिए 15 दिन की जमानत भी मंजूर की थी।