प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मूल मंत्र को आत्मसात कर आत्मनिर्भर बन रहे भारत में कृषि भी आत्मनिर्भर हो रहा है। खास करके यूरिया की किल्लत झेल रहे बिहार के किसानों को अब खाद के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बिहार का एकलौता बरौनी खाद कारखाना हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) के नाम से बनकर तैयार हो गया है। संभावना है कि अक्टूबर में प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन करते ही यहां ”अपना यूरिया” का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके लिए खाद कारखाना में उत्पादन शुरू करने की शेष बची प्रक्रिया युद्ध स्तर पर चल रहा है, केंद्र सरकार द्वारा इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है।
जानकारी के अनुसार एक बार फिर केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के बरौनी एवं सिंदरी परियोजना तथा कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी पर आधारित देश के पहले यूरिया संयंत्र तालचर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) के प्रगति की समीक्षा की।उन्होंने विश्वास जताया है कि यूरिया के स्वदेशी उत्पादन से 25 एलएमटीपीए से अधिक का योगदान होगा जिससे आयातित यूरिया की मात्रा को कम करने में मदद मिलेगी।
इन संयंत्रों से स्वदेशी यूरिया का उत्पादन ”आत्मनिर्भर भारत” और ”आत्मनिर्भर कृषि” के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम होगा। समीक्षा बैठक में डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत सरकार जल्द ही एचयूआरएल-बरौनी और सिंदरी संयंत्रों से यूरिया का उत्पादन शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह दो संयंत्र यूरिया के स्वदेशी उत्पादन में 25 एलएमटीपीए से अधिक का योगदान देंगे जिससे आयातित यूरिया की मात्रा को कम करने में मदद मिलेगी।
सरकार के केंद्रित प्रयासों से भारत यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा। प्रत्येक संयंत्र पांच सौ प्रत्यक्ष और 15 सौ अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा। केंद्रीय मंत्री ने अमोनिया और यूरिया के उत्पादन के लिए कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी पर आधारित देश के पहले यूरिया संयंत्र तालचर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) की प्रगति की भी समीक्षा की है। टीएफएल की उत्पादन क्षमता 12.7 एलएमटीपीए होगी और 2024 में इसकी कमीशनिंग होने की उम्मीद है।
सार्वजनिक उपक्रम इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), फर्टिलाइजर्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) एवं हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) के साथ जॉइंट वेंचर कंपनी बनाकर बरौनी, गोरखपुर एवं सिंदरी के खाद कारखाना कख पुनरुद्धार किया गया है। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड नामक संयुक्त उद्यम कंपनी को एनटीपीसी, आईओसीएल और सीआईएल द्वारा 29.67 प्रतिशत की इक्विटी भागीदारी एवं गोरखपुर, सिंदरी तथा बरौनी में 12.7 एलएमटीपीए क्षमता वाला गैस आधारित अमोनिया यूरिया संयंत्र स्थापित करने के लिए एफसीआईएल द्वारा 11 प्रतिशत इक्टिवी भागीदारी के साथ शामिल किया गया है।
केन्द्र सरकार सार्वजनिक उपक्रमों गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) तथा एफसीआईएल की एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाकर तालचर इकाई का भी पुनरुद्धार कर रही है। तालचर फर्टिलाइजर लिमिटेड (टीएफएल) नामक संयुक्त उद्यम कंपनी को गेल, आरसीएफ और सीआईएल द्वारा 31.85 प्रतिशत की इक्विटी भागीदारी के साथ शामिल किया गया था, जबकि एफसीआईएल ने 4.45 प्रतिशत इक्विटी बरकरार रखी थी।
आत्मनिर्भर भारत में बरौनी में तैयार होने वाला नीम कोटेड ”अपना यूरिया” औद्योगिक क्रांति का वाहक बनने के साथ किसानों के लिए वरदान साबित होगा। बरौनी का यह हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) ना केवल बिहार की यूरिया जरूरत को पूरा करेगा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के लिए वरदान साबित होगा। 8387 करोड़ की लागत से बन रहे नेचुरल गैस आधारित इस कारखाना से प्रत्येक दिन 3850 मेट्रिक टन ”अपना यूरिया” ब्रांड का नीम कोटेड यूरिया (प्रत्येक वर्ष 12.70 लाख एमटी) तथा 22 सौ टन अमोनिया का उत्पादन होगा।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल