ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने पहले सभी पक्षकारों के वकीलों के बारे में जाना. उसके बाद ऑर्डर 7 के नियम 11 के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों को जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं. उनका सुनना सभी पक्षकारों के हित में होगा. हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि धार्मिक स्थिति और कैरेक्टर को लेकर जो रिपोर्ट आई है, जिला अदालत को पहले उसपर विचार करने को कहा जाय. इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उनको निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे सुनवाई करनी है. उनको अपने हिसाब से करने दिया जाय.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक जिला जज मामले को सुने हमारा पहले का अंतरिम आदेश जारी रह सकता है, जिसमें हमने शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज को ना रोकने को कहा था. ये सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा.
मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं. कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं, उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं. ‘स्टेटस को’ यानी यथा स्थिति बनाए रखी जा सकती है. पांच सौ साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए.
इसपर अदालत ने कहा कि हमने जो महसूस किया वह सबसे पहले हम आदेश 7 नियम 11 पर निर्णय लेने के लिए कहेंगे और जब तक यह तय नहीं हो जाता है कि हमारा अंतरिम आदेश संतुलित तरीके से लागू रहेगा.
कोर्ट ने कहा कि यह तय करने के लिए कि आयोग जांच कमीशन की नियुक्ति का आदेश सही था या नहीं उस बारे में एक पैनल नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन जिस क्षण हम अंतरिम आदेश जारी रखते हैं, इसका मतलब है कि हमारा आदेश जारी है.
मस्जिद कमेटी के वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि हमारी एसएलपी आयोग की नियुक्ति के खिलाफ है. इस प्रकार की शरारत को रोकने के लिए ही 1991 का अधिनियम बनाया गया था. कहानी बनाने के लिए आयोग की रिपोर्ट को चुनिंदा रूप से लीक किया गया है.
अहमदी ने कहा कि मामले को अगर निचली अदालत को भेजा जाता है तो ज्ञानवापी मस्जिद पर यथस्थिति को बनाए रखा जाए. अव्वल तो सर्वे के लिए कमीशन बनाया जाना ही असंवैधानिक है. यही नहीं रिपोर्ट को लीक किया जा रहा है. एक नैरेटिव सेट किया जा रहा है. ये मामला इतना आसान नहीं है. परिसर में यथास्थिति तो बीते 500 साल से है. मेरी मांग है कि यदि मामला वाराणसी कोर्ट जाता है तो भी वही यथास्थिति बनाए रखी जाए.
हिंदू पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि न्यायाधीश के विवेक पर किसी तरह का दबाव या अंकुश नहीं चाहते. सुनवाई के दौरान पहले क्या होना चाहिए ये जिला जज के विवेक पर छोड़ देना चाहिए. हुजैफा अहमदी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के ऑर्डर के आधार बनाकर 5 और मस्जिदों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आज इसे अनुमति दी जाती है तो कल कोई इसी तरह से किसी और मस्जिद के नीचे मंदिर होने का नैरेटिव सेट कर देगा. इससे देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा, लेकिन अदालती आदेश के बाद पिछले 500 साल से चली आ रही यथास्थिति को बदल दिया गया है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत को निर्देश देने की बजाय हमें संतुलन बनाना चाहिए. अहमदी ने उपासना स्थल कानून पर चर्चा शुरू की तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये आपका दूसरा नजरिया है. हम आदेश सात के नियम 11 की बात पर चर्चा कर रहे हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जिला न्यायाधीश को इसपर विचार करने का निर्देश नहीं देंगे कि आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या नहीं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा और शांति हमारे लिए सबसे ऊपर है. हमारा अंतरिम आदेश जारी रह सकता है. इससे सब ओर शांति बनी रहेगी. पहले ट्रायल कोर्ट को मुस्लिम पक्ष की अपील, दलील और 1991 के उपासना स्थल कानून के उल्लंघन की अर्जी पर सुनवाई करने दें.
कोर्ट ने कहा कि अहमदी जी हम आपके पक्ष में ही सुझाव रख रहे हैं. अगर 1991 के कानून के तहत केस की वैधता तय की जायेगी फिर बहुत मुश्किल होगी. मस्जिद कमेटी की दलीलों पर सवाल खड़े करते हुए कोर्ट ने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट दोनों पक्षों के अधिकारों को सीमित करेंगे. आप केस के मेरिट पर बात करें.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट को सीमा से आगे जाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं. इसपर अहमदी ने कहा कि यह तो पहले ही आगे जा चुका है, क्योंकि रिपोर्ट भी लीक की गई. जो पत्थर मिला है उसे दूसरा पक्ष शिवलिंग बता रहा है जबकि हमारे मुताबिक वो फव्वारा है. परिसर में सीलबंद किया गया है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या हमारे आदेश के बाद से नमाज भी नहीं हुई? इसपर अहमदी ने सफाई दी कि नमाज तो हुई, लेकिन कुछ इलाका सील बंद है.