हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) बसों में महिलाओं को किराए में 50 फीसदी की छूट और न्यूनतम किराया घटाने के प्रदेश सरकार के निर्णय के खिलाफ राजधानी शिमला में निजी बस चालक-परिचालक मंगलवार को हड़ताल पर चले गए हैं। शहर में चलने वाली 100 बसों के पहिये थम जाने से राजधानी में यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। इससे परिवहन का सारा जिम्मा एचआरटीसी की बसों पर आ गया है। हालांकि एचआरटीसी प्रबन्धन ने हड़ताल से निपटने के लिये अतिरिक्त बसें चलाई हैं, लेकिन वो नाकाफी साबित हो रही हैं।
दरअसल तीन दिनों की छुट्टियों के बाद मंगलवार को शहर के कार्यालयों, अस्पतालों व अन्य गंतव्यों के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी है। ऐसे में निजी बसों के न चलने से लोगों को अपने गंतव्य में पहुंचने में भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही है।
राजधानी के उपनगर संजोली में बस का इंतजार कर रहे एक यात्री ने कहा कि वे डेली पैसेंजर हैं। उस रूट पर अधिकतर निजी बसें ही जाती हैं। आज इन बसों की हड़ताल के कारण एक घंटे तक बस स्टैंड पर बस का इंतजार किया मगर बस नहीं आई।
निजी बसों की हड़ताल से स्कूल जाने वाले बच्चों, कर्मचारियों और अस्पतालों व बाजार आने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शिमला-पंथाघाटी मैहली, संजौली, छोटा शिमला, समरहिल, टुटू, बालूगंज, ढांडा, घणाहट्टी, शोघी, तारादेवी इत्यादि रूटों पर बस सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है।
निजी बस चालक-परिचालक यूनियन के प्रधान रूपलाल ठाकुर ने बताया कि जब से सरकारी बसों में महिलाओं को 50 फीसदी किराया देने की अधिसूचना जारी हुई है, तब से प्राइवेट बस संचालकों को नुकसान हो रहा है। इससे चालक और परिचालक की नौकरी पर खतरा आ गया है। इसी कारण आज शहर में निजी बसों के न चलाने का निर्णय लिया गया है।
उनका आरोप है कि निजी बस चालकों-परिचालकों के लिए किसी तरह की भी स्थाई नीति सरकार की ओर से नहीं बनाई गई है। उन्होंने सरकारी नौकरी में 50 फीसदी कोटा देने की मांग भी की है।
आशा खबर / शिखा यादव