उनके खिलाफ आजमगढ़ जिले के दीदारनगर, फूलपुर, अहरौला, लखनऊ के हजरतगंज, जौनपुर के शाहगंज और लाइन बाजार थाने में आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए थे। सबसे ज्यादा मुकदमे दीदारगंज में दर्ज हुए थे। उमाकांत यादव पर फूलपुर, अहरौला, दीदारगंज में गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई हुई थी।
आपको बता दें कि मछलीशहर से बसपा के पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात लोगों को अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय शरद कुमार तिवारी ने जीआरपी सिपाही हत्याकांड मामले में शनिवार को दोषी करार दिया था। यह घटना शाहगंज में 4 फरवरी 1995 को हुई थी। जीआरपी शाहगंज के तत्कालीन कांस्टेबल रघुनाथ सिंह ने घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक चार फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही रघुनाथ सिंह शाहगंज स्टेशन पर मौजूद था। इस दौरान प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने को लेकर पूर्व सांसद उमाकांत यादव के कार चालक राजकुमार यादव का एक यात्री से विवाद हो गया था। समझाने पर उसने जीआरपी सिपाही को थप्पड़ मार दिया। उसने अन्य सिपाहियों को बुलाया और झगड़ा करने वाले दोनों लोगों को जीआरपी चौकी ले आए। तहरीर के अनुसार दिन में लगभग ढाई बजे रायफल, पिस्टल और रिवाल्वर जैसे असलहों से लैस होकर आरोपी पूर्व सांसद उमाकांत यादव अपने छह नामजद साथियों व अन्य लोगों के साथ आए और पुलिस लॉकअप में बंद चालक राजकुमार यादव को जबरन छुड़ाने लगे। इस दौरान हुई अंधाधुंध फायरिंग में सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी। दिनदहाड़े हुई इस वारदात से इलाके में दहशत हो गई थी।
आशा खबर / शिखा यादव